आपस में फूट – पंचतंत्र की कहानियां
कई वर्षों पहले एक प्राचीन समय में इस पृथ्वी तल पर एक ऐसा जीव रहता था, जिसका एक धड लेकिन उसके दो सिर थे.
उसके दोनों सिर अपने आप से बिल्कुल ही अलग थे. उनकी सोच और समझ एक दूसरे के बिल्कुल विपरीत थी. एक सिर पूर्व की ओर जाने की कोशिश करता था तभी दूसरा सिर पश्चिम की ओर जाने का सुझाव देता था.
इन दोनों में मेल न होने के कारण वह धड़ अपना कोई भी काम आसानी से नहीं कर पा रहा था. सुबह शाम उन दो सिरों में झगड़ा होता रहता था. धड़ उनकी इस कृति से बहुत परेशान हो चुका था.
एक दिन उस जीव को भूख लगी थी. भूख सहन ना होने के कारण वह खाने की तलाश में एक तट पर चला गया. तभी दोनों सिर में से एक की नजर फल पर चली गई. उसने देखा कि नीचे जमीन पर एक फल पड़ा है.
पहले वाले सिर ने उस पल को उठाया और अपने मुंह से उसे चक लिया. फल खाने के बाद उसने दूसरे सिर को चढ़ाते हुए कहा यह तो बहुत ही स्वादिष्ट फल है. काश ऐसा फल हमें हर दिन खाने को मिल जाए. इस पर दूसरे सिर ने सोचा इतना स्वादिष्ट फल है तो, मैं भी इसे जरा चक कर देख लेता हूं.
ऐसा कहते हुए उसने उस फल को खाने की कोशिश की, लेकिन पहले वाले सिर ने उसे फल देने से इनकार कर दिया, उसने कहा कि हमारा धड तो एक ही है. तो हमारा पेट भी एक ही हुआ, चाहे तुम खाओ या मैं खाऊंगा. जाएगा तो एक ही पेट में. ऐसा कहते हुए उसने दूसरे वाले सिर को उस फल को खाने से मना कर दिया.
इस पर दूसरा वाला सिर बोला, मुझे पता है कि, हमारा सिर एक ही है. लेकिन खाने का असली स्वाद तो मुंह को ही पता चलता है. खाने के लिए संतुष्टि मुंह से ही तो मिलती है. खाने का स्वाद हमारी जीभ को ही नहीं पता चला तो खाने का क्या मतलब रहा.
इस पर पहले वाला सिर बोला, मैंने तेरी जीभ और खाने का मजा उठाने का ठेका लिया है. जब मैं खाना खा लूंगा तो पेट से एक डकार निकलेगी. उसकी सुगंध से ही आज अपना काम चला लेना. ऐसा बोल कर उसने फल खाना चालू कर दिया.
इसके बाद अब दूसरा सिर बहुत ही गुस्से में था. उसने इस बात का बदला लेने की ठान ली. कुछ दिन बाद फिर से वह जीव खाने की तलाश में तट पर घूम रहा था इस बार दूसरे सिर की नजर एक फल पर पड़ी.
उसे आज जिस चीज की चाह तलाश थी वह उसे मिल चुकी थी. वह उस फल को खाने वाला था कि, पहले वाले फल ने उसे चेतावनी दी कि इस पल को ना खाए. क्योंकि यह एक जहरीला फल है. इसे खाने से हमारे मृत्यु हो सकती है.
इस पर दूसरा वाला फिर बोला तू चुप बैठ मुझे अपना काम करने दे. तू अपना काम कर मुझे जो खाना है मैं वह खा लूंगा. मुझे शांति से यह फल खाने दे.
ऐसा कहते हुए दूसरे सिर मैं वह विषैला फल पूरा समाप्त कर दिया और उसके कुछ ही घंटे बाद वह जीव तड़प तड़प कर मर गया.
सीख – इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हमें आपस में बैर नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से हमारी ही समाप्ति होती है.
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