बड़े नाम का चमत्कार – आज के इस कहानी में हम सीखेंगे अगर आपने थोड़ी सी भी होशियारी है तो आप किसी भी मुश्किल गाड़ी से बाहर निकल सकते हो. (Bade Naam Ka Chamatkar Hindi Story)
बड़े नाम का चमत्कार
एक घना जंगल था. उस घने जंगल में सभी प्राणी और पंछी आराम से रह रहे थे. जंगल में हाथियों का झुंड बहुत दिन से रह रहा था. हाथी और उनका सरदार की जंगल में बहुत चलती थी.
सरदार ने जिस भी चीज के बारे में सोचा और करने की कोशिश की, सभी प्राणी उस चीज को मानने से एक भी कदम पीछे नहीं हटते थे.
कुछ सालों बाद जंगल में बहुत बड़ा सूखा पड़ गया. सूखा पड़ने की वजह से सभी प्राणी और पंचों ने हाथी के पास गुहार लगाई. क्या आप इस पर कोई उपाय सुझाए.
हाथियों के सरदार को पता था कि, जंगल की दूसरी तरफ एक बहुत ही बड़ा तालाब है. उसमें सभी प्राणियों को और पंछियों को उस तालाब की ओर जाने के लिए कहा. दूसरा तालाब झरने के नीचे था, इसलिए कभी उसका पानी कम नहीं होता था.
नकल
सभी प्राणी और पंछी हाथी के कहने पर उस तालाब की ओर चले गए. तालाब के नजदीक बड़ी तादाद में खरगोश रहा करते थे. वह अपना जीवन आसानी से और बिना किसी कष्ट के साथ बिता रहे थे.
उन्हें खाने के लिए और पीने के लिए इस तालाब पर निर्भर रहना पड़ता था. बहुत बड़ी संख्या में हाथी वहां पर आने से बहुत से खरगोश की जान चली गई. खरगोश के बिल हाथियों के पैरों तले चकना चूर होते हुए देखकर उनमें से कुछ खरगोश ने अपने राजा से हाथियों से बात करने के लिए कहा.
कम होते हुए खरगोश की संख्या देखकर खरगोश के राजा ने हाथों से बात करने के लिए उनका एक दूत भेजा. खरगोश का नाम था वक्रतुंड. यह बहुत ही चालाक खरगोश था. उसे पता था कि हाथियों को कैसे मनाना है.
उसने योजना बनाई और योजना को अपने राजा को बताया. राजा ने भी उसकी बनाई हुई योजना पर अमल करने के लिए कहा. राजा ने कहा तुम कुछ भी कर लो लेकिन हमें इस संकट से बाहर निकालो.
बंदर का कलेजा
वक्रतुंड सीधा हाथियों के पास जाता है. उनसे कहता है कि, तुम यहां से जब से आए हो तुम्हारी कारणवश हमारे चंद्रदेव नाराज हो चुके हैं. उनका यह कहना है कि, तुम यह इलाका छोड़कर तुरंत चले जाओ.
हाथियों ने इस बात पर यकीन करने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि, हमें तुम्हारे चंद्रदेव से मिलना है. वक्रतुंड भी मान गया और वह उन्हें पूर्णिमा के दिन शाम को चंद्रमा से मिलाने के लिए लेकर चला गया.
तालाब के किनारे चंद्रमा की प्रतिबिंब तालाब में पड़ चुका था. हाथियों को ऐसा लगा कि साक्षात में चंद्र देव यहां पधार चुके हैं. उन्होंने चंद्रमा के पास जाकर देखने की कोशिश की, लेकिन जैसे उन्होंने अपना पैर पानी के भीतर रखा तो पानी की लहरों की वजह से चंद्रमा की आकृति हिलने लगी और चारों दिशाओं में फैलने लगी.
इसे देखकर हाथी और भी डर गए और उन्होंने वहां से जाने का फैसला लिया. इस तरह वक्रतुंड की चतुराई की वजह से खरगोशों की जान बची. सब खरगोश ने मिलकर वक्रतुंडा का आभार व्यक्त किया.
सीख – दुश्मन चाहे कितना भी बड़ा हो अगर आप में थोड़ी सी भी होशियारी बाकी है तो आप उस पर जीत हासिल कर सकते हो.