बंदर का कलेजा इस कहानी में हम देखेंगे कि अगर आप पर कोई उपकार कर रहा हो तो आपको उसके साथ कैसे बर्ताव करना चाहिए. (Bandar Ka Kaleja Story in Hindi)
बंदर का कलेजा –
एक जंगल था. जंगल के बीचो बीच से एक नदी बह रही थी. नदी के तट पर एक बहुत ही बड़े पेड़ था. इस पेड़ पर एक बंदर रहता था. बंदर पेड़ पर लगने वाले फलों को खाकर अपना पेट भरता था.
बंदर अकेला था. कोई उसका दोस्त नहीं था. बचपन से उसने अपने मां-बाप को देखा नहीं था. जब से उसे समझ आई थी वह अकेला ही था.
एक दिन उसने नदी में से एक मगरमच्छ को जाते हुए देखा. उसने मगरमच्छ ने कहा कि तुम यहां क्यों आए हो. इस पर मगरमच्छ कहता है की, नजदीक के तालाब में मौजूद सभी जीव खत्म हो चुके हैं और मुझे अपनी भूख मिटाने के लिए नदी में आना पड़ा.
इस पर बंदर को मगरमच्छ की दया आई. उसने मगरमच्छ को पेड़ पर मौजूद फल खिलाएं. बंदर और मगरमच्छ की दोस्ती पनपने लगी थी.
तीन मछलियां
हर दिन मगरमच्छ बंदर के यहां आता था. बंदर उसे पेड़ में से फल गिरा कर खिलाता था. उन दोनों की दोस्ती इतनी गहरी हो चुकी थी कि, अब वह एक दूसरे के साथ अपने घर की बातें करने लगे थे.
बातों ही बातों में मगरमच्छ ने बंदर को बताया कि, उसका एक परिवार है. जो नदी के तट पर रहता है. उसकी वहां एक बीवी है. इस पर बंदर कहता है कि, वह भी तो भूखी होगी. तुम अकेले ही फल खा रहे हो. उसे भी लेकर जाओ.
अगले दिन बंदर मगरमच्छ की बीवी को भी फल भेजता है. उस फल को खाकर मगरमच्छ की बीवी खुश हो जाती है. वह मगरमच्छ से हर दिन फल लाने के लिए कहती है.
उसे फल तो मिल रहे होते लेकिन मगरमच्छ हर दिन बंदर के साथ ही बिताना चालू कर देता है. ऐसे में मगरमच्छ की बीवी खुद को अकेला पाती है. वह अब मगरमच से दूरी महसूस करने लगती है.
मन से वह काफी दुष्ट थी. उसने मगरमच्छ से कहा. अगर आपका दोस्त इतना अच्छा मीठा फल हमें हर दिन देता है, तो उसका कलेजा कितना मीठा होगा. इसके बारे में आपने कभी सोचा है क्या?
दुश्मन का स्वार्थ
मगरमच्छ की बीवी, बीमार पड़ने का नाटक करती है. वह मगरमच्छ से कहती है कि, आप मुझे उसका कलेजा लाकर दे दो. वही खाकर मेरी तबीयत ठीक हो जाएगी. अगर मुझे जिंदा देखना चाहते हो तो, आप मुझे बंदर का कलेजा लाकर दे दो नहीं तो मैं और आपके बच्चे मर जाएंगे.
मगरमच्छ भी बिना किसी बात को सोचे हुए कलेजा लेने के लिए सुबह जल्दी जल्दी बंदर के पास चला जाता है. बंदर भी सुबह-सुबह आए हुए मगरमच्छ को देखकर आश्चर्यचकित हो जाता है.
बंदर मगरमच्छ से पूछता है की, आप इतनी जल्दी सुबह सुबह किस लिए आए हो. इस पर मगरमच्छ कहता है, आप हर दिन हमें मीठे मीठे फल खिलाते हो, लेकिन मेरी बीवी आप से नाराज हैं.
मगरमच्छ की कही इस बात पर बंदर उससे फिर से पूछता है कि, मैंने ऐसा क्या कर दिया क्या आपकी बीवी मुझसे नाराज हैं. मगरमच्छ कहता है कि, आपने एक बार भी मेरी बीवी से बात नहीं की है.
आपको आज मेरे साथ आकर मेरी बीवी से मिलना ही होगा. बंदर को भी मगरमच्छ की बीवी को मिलना था. बंदर कहता है कि, मुझे तो तैरना नहीं आता. मैं आपके साथ कैसे आऊंगा?
दुष्ट सर्प
इस पर मगरमच्छ कहता है, आप मेरी पीठ पर सवार होकर मेरे साथ चलना. बंदर भी राजी हो जाता है.
कुछ देर अंदर जाने के बाद मगरमच्छ गहरे पानी में डुबकी लगाना चालू कर देता है. इसे देखकर बंदर डर जाता है. बंदर मगरमच्छ से पूछता है कि, तुम यह क्या कर रहे हो?
मगरमच्छ कहता है कि, मेरी बीवी तुम्हारा कलेजा खाना चाहती है. इसलिए मुझे तुम्हें मारना पड़ेगा. बंदर को अपने दोस्त पर और अपनी दोस्ती पर बुरा महसूस होता है. उसने ऐसा दोस्त बनाया जो उसकी जान के पीछे पड़ा है.
लेकिन बंदर होशियार था. बातों ही बातों में वह कहता है की, तुम्हें पहले ही बता देना चाहिए था, मैं तो अपना कलेजा अपने साथ लाया ही नहीं उसे तो उसी पेड़ पर रख कर आया हूं. चलो जल्दी से वापस चलो और कलेजा लेता हूं. उसके बाद तुम्हारी बीवी से मिलते हैं.
बंदर की बातों का मगरमच्छ को भी यकीन हो जाता है. वह कलेजा लेने के लिए वापस उसी पेड़ के पास चले जाते हैं. पेड़ नजदीक आने के बाद बंदर तेजी से पेड़ पर चढ़ जाता है. मगरमच्छ से कहता है. कोई अपना कलेजा कैसे बाहर रख सकता है.
मैंने तुम्हें अपना दोस्त बनाया, यही मेरे सबसे बड़ी बेवकूफी थी. मैंने तुम्हें फल खाने दिए. तुम्हारे परिवार का रक्षण किया. लेकिन तुम तो मेरे ही जान के दुश्मन बन गए. मगरमच्छ को अगले दिन से ना ही फल मिले और ना ही बंदर का कलेजा.
सीख – हमारे सामने कौन सा भी संकट आए हमें उससे मार्ग निकालने की तरकीब ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए. इसके साथ ही एक बात ध्यान में रखें कि, जो दूसरों को धोखा देता है वह एक दिन खुद धोखा खाता है. अगर आपको जीवन में किसी से मदद मिल रही है तो उसकी मदद का फायदा ना उठाएं.