क्या हुआ जब चित्तौड़गढ़ किले को खिलजी ने घेरा…

आज हम Chittorgarh fort history in hindi की बात करने वाले हैं एक ऐसे के लिए की जो वीरता की मिसाल की जो राजपूतों की शान है। भारत के महत्वपूर्ण पलों में से एक यह किला आज भी राजपूतों के साहस के बलिदान के शौर्य का प्रतीक है।

यह पहचाना जाता है चित्तौड़गढ़ की रानी पद्मावती की साहस एवं त्याग के लिए। इस प्रकार रानी पद्मावती ने अपने पति राजा रतन सिंह के साथ मिलकर अपनी शान को बचाया और कैसे अपने खुद की इज्जत बचाने के लिए जीवन का त्याग कर दिया। यह किला राजा रतन सिंह और पद्मावती के साहस को प्रदर्शित करता है।

इस किले को राजस्थान का गौरव नहीं बल्कि पूरे भारत वर्ष का दोनों माना जाता है। यह किला भारत के सबसे विशाल किलो में से एक माना जाता है। इस किले का निर्माण सातवीं शताब्दी में मौर्य शासकों के द्वारा किया गया था। यह किला 700 एकर में फैला हुआ है। इसकी भव्यता और दिव्यता आज भी सबका मन किस की ओर खींच लेती है।

चित्तौड़गढ़ किले की निर्माण की कहानी यह है कि महाभारत के वर्क पांडु पुत्र भीम में इस किले का निर्माण एक ही रात में किया था। उसने अपनी अछूत से शक्ति से किले को एक ही दिन में बनवाया था ऐसे पुराणों में लिखा गया है। चित्तौड़गढ़ का किला आज भी हमारी प्राचीन परंपरा और रीति-रिवाजों का एक जीता जागता उदाहरण है। चलिए chittorgarh fort history in hindi जानने और समझने की कोशिश करते हैं।

चित्तौड़गढ़ किले की जानकारी हिंदी में 

chittorgarh fort history in hindi

यह किला भारत के राजस्थान राज्य में मेवाड़ में चित्तौड़गढ़ नाम से है। इसका निर्माण सातवीं शताब्दी में मौर्य शासकों के द्वारा किया गया था। अभी तक इस किले का निर्माण किसने और किस समय में करवाया था इसकी कोई पुख्ता जानकारी किसी के पास भी नहीं है।

उस समय के मौर्य शासक चित्रांकन में इस किले का निर्माण करवाया था और किले का नाम चित्रकूट रखा था ऐसी भी जानकारी आपको पढ़ने को मिलती है। इस किले पर कई शासकों ने राज्य किया जिसमें राजा मूंज और सिद्धाराज जय सिंह मुख्य रूप से लिया जाता है। इस राज किस किले को राजपूत मौर्य खिलजी मुगल सोलंकी प्रतिहार जैसे साल शासकों ने राज किया।

चित्तौड़गढ़ के किले पर कई शासकों ने कई बार हमले किए जिसमें खिलजी द्वारा किया गया आक्रमण और रानी पद्मावती द्वारा किया गया बचाव या समर्पण भी कह सकते हो यह इतिहास के पन्नों में आज भी एक अमर कथा के रूप में दर्ज है।

राजपूतों द्वारा किए गए समर्पण साहस और अपने आत्मसम्मान को बचाने के लिए किए गए प्रयासों के लिए किला आज भी उनके बलिदान करनी रूनी है। चित्तौड़गढ़ किला सुरक्षित होने के कारण इस पर 15वीं और 16वीं शताब्दी में कई घातक प्रयास करने के बावजूद भी यह किला जैसे खड़ा था वैसे ही खड़ा रहा। इस प्रयासों में अलाउद्दीन खिलजी द्वारा किया गया प्रयास एक था।

रानी पद्मावती की खूबसूरती देखकर अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण किया था। पद्मावती को पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार था लेकिन वह रानी पद्मावती को हासिल न कर सका।

रानी पद्मावती को और चित्तौड़गढ़ को बचाने के लिए राजा रतन सिंह ने अलाउद्दीन खिलजी के खिलाफ युद्ध लड़ा लेकिन वह उसमें हार गया। हारने के बाद अलाउद्दीन खिलजी चित्तौड़गढ़ की तरफ आ रहा था तब रानी पद्मावती ने उनके साथ 16,000 रानियों को लेकर राजपूतों की शान बचाने के लिए गढ़ के विजय स्तंभ के नजदीक जोहर या फिर आप उसे कह सकते हैं सामूहिक आत्मदहन कर लिया। यह जगह आज भी जोहर स्थल के रूप में जानी जाती है। इतिहास का चर्चित जोहर स्थल माना जाता है।

इसके अलावा कोई और शासकों ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया था जिसमें गुजरात के शासक बहादुर सिंह का नाम पहले आता है जिन्होंने विक्रम सिंह को हराया था। उस समय की रानी करनावती नहीं अपना अदम्य साहस दिखाकर तेरा हजार रानियों के साथ सामूहिक आत्मदाह कर लिया। इसके बाद उनके बेटे उदय सिंह को चित्तौड़गढ़ का शासक बना दिया।

के बाद मुगल शासक अकबर में चित्तौड़गढ़ पर 1567 साल ने आक्रमण कर लिया। उस समय राजा उदय सिंह ने अकबर के खिलाफ संघर्ष करते हुए चित्तौड़गढ़ का त्याग कर दिया। पलायन करके राजा उदय सिंह ने उदयपुर जगह का निर्माण कर दिया।

राजपूत शासकों ने राजा अकबर के खिलाफ लड़ाई कर ली लेकिन वह राजा अकबर को हराने में कामयाब न रहे। अकबर के शासन काल में किस किले को जमकर लूट लिया गया। आखिर में 16 मी सदी में राजा अमर सिंह को जो कि मेवाड़ के उस समय के राजा थे उन्हें चित्तौड़गढ़ वापस कर दिया गया।

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