ढोंगी सियार – पंचतंत्र की कहानी

ढोंगी सियार – आज के इस कहानी में हम सकेंगे की थोड़ी देर के लिए अगर आप होशियारी के साथ कोई भी काम करना चाहते हो और दुनिया को बेवकूफ बनाना चाहते हो तो यह होशियारी ज्यादा दिन तक नहीं चलती. (Dhongi Siyar Story in Hindi)

पंचतंत्र की कहानी 

एक जंगल में एक ढोंगी सियार रहता था. वह बहुत बड़ा आलसी था. उसे शिकार करने के लिए परिश्रम करना बिलकुल अच्छा नहीं लगता था. उसे ऐसा लगता था कि. कोई उसे शिकार खुद न परिश्रम करते हुए मिल जाए. इसके लिए उसने अपने शरारती दिमाग से एक कल्पना निकाली.

वह जिस जगह रहता है वहां से कुछ ही दूर चूहों का एक बिल था. बिल के बाहर चूहे हर दिन घूमते रहते थे. शाम होते ही बिल में चले जाते थे. सियार हर दिन उन्हें देखता था और उसने एक दिन एक योजना बनाई.

उसने चूहों को मूर्ख बनाने के लिए सुबह सुबह जल्दी बिल के बाहर एक टांग पर उल्टा खड़ा रहा और सूरज की ओर देखने लगा.

सुबह होने के बाद चूहे जब अपने दिल से बाहर आए. तो उन्होंने देखा कि. सियार एक टांग पर खड़ा है. सूरज की और उसका मुंह खुला हुआ है.

चूहों के सरदार ने सियार से कहा, सियार जी आप ऐसा क्यों कर रहे हो. तब सियार ने ढोंग करना चालू कर दिया. उसने बताया कि मैंने हिमालय में बहुत दिन से एक टांग पर तपस्या की थी. तब देवताओं ने प्रसन्न होकर मुझे वरदान दिया है कि, तुम सिर्फ हवा पर जिंदा रह सकते हो. तुम्हें खाने के लिए किसी और चीज की जरूरत नहीं है.

गधा तो गधा ही रहेगा

लेकिन अगर मैंने अपनी चारों टांगे जमीन पर रख दी तो धरती मेरा वजन सह नहीं सकेगी. मैं पृथ्वी के दूसरी तरफ एक छेद कर दूंगा.

चूहों को भी सियार की बातों पर यकीन हो गया. उनका सियार के पति मौजूद डर कम हो गया क्योंकि सियार हवा पे जिंदा था उसको खाने के लिए किसी और चीज की जरूरत नहीं थी.

हर दिन चूहे सियार के साथ खेलने लगे. शाम होने के वक्त जब खेलने के बाद चूहे अपने बिल में जा रहे थे. सबसे पीछे रहने वाला चूहे का शिकार शेयर करने लगा.

सियार को आराम से शिकार मिल रहे थे. इसके लिए वह सुबह को एक टांग पर खड़ा रहता था. शाम को शिकार खाने के बाद आराम से सो जाता था.

दिन प्रतिदिन चूहों की संख्या कम होने लगी. चूहों के सरदार को इस बात की भनक लग गई कि, चूहों की संख्या कम हो रही है. उसने सियार से पूछा कि चूहों की संख्या क्यों कम हो रही है. इस पर सियार ने कहा जो लोग मेरी सच्चे मन से श्रद्धा करते हैं, वह बैकुंठ में पहुंच जाते हैं. जिन भी चूहों ने मेरी मनोभाव से श्रद्धा की है, वह आज बैकुंठ में है.

सरदार को सियार के बाद में कुछ गड़बड़ लगी और उसने सभी चूहों से कहा कि, आप अपने अपने बिल में जल्दी से चली जाए और सबसे पीछे मैं रहूंगा.

शाम को भजन कीर्तन होने के बाद सब लोग बिल में जल्दी से चले गए. सब के पीछे सरदार था. सरदार चौकन्ना था. सियार ने चूहे को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन चौकन्ना होने की वजह से सरदार सियार के पंजे से बच गया. उसने सियार पर आक्रमण कर दिया और सभी चूहों को भी कहा कि सियार का खात्मा कर दें.

सभी चूहों ने सियार पर आक्रमण कर दिया. सियार का कब कंकाल में परिवर्तन हो गया उसे भी पता नहीं चला.

सीख – होशियारी ज्यादा दिन तक नहीं चलती. एक न एक दिन वह सबके सामने आ जाते हैं. जिस दिन होशियारी सबके सामने आ जाती है, तब आदमी का अहंकार और जीवन खत्म हो जाता है.

गोलू मोलू और भालू

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