एक और एक ग्यारह – पंचतंत्र की कहानियां
एक जंगल में एक विशाल हाथी रहता था. हाथी बड़ा ही मदमस्त था. वह किसी की बात नहीं सुनता था. उसके मन में जो आता था वह उस चीज को अंजाम दिया करता था. वह किसी की बात नहीं सुन रहा था. सभी पेड़ को नीचे गिरा ते हुए वह कहीं पंछी और पक्षियों के घोसले को नीचे गिराया करता था. सभी उसके इस बर्ताव से भयभीत और त्रस्त हो चुके थे.
हाथी की ताकत ज्यादा होने के कारण कोई उससे झगड़ा नहीं करता था. उसी विशाल जंगल में एक चिड़िया का घोंसला था. वह अपना जीवन उस घोसले में बड़े आराम से बिता रही थी. उस चिड़िया ने अपने घोसले में अपने अंडो पर बैठते हुए उनमें से निकलने वाले छोटे छोटे नन्हे बच्चों के सपने देखना चालू कर दिया था.
एक दिन वही हाथी जोर जोर आवाज करके जंगल से जा रहा था. वह जाते समय जिस भी पेड़ पर उस पर नजर जा रही थी, उस पेड़ को हिला के नीचे गिरा रहा था.
देखते-देखते वह चिड़िया के घोंसले के पेड़ तक आ पहुंचा. हाथी इतना विशाल था कि, उसने उस चिड़िया का घोंसला वाला जो पेड़ था उसे भी तोड़ मरोड़ कर नीचे गिरा दिया.
घोसले में चिड़िया के अंडे बाहर निकल कर जमीन पर गिर गए. कुछ अंडे फूट गए. उसने देखा कि, हाथी ने उस पर अपना पैर रखकर उसको तोड़ मरोड़ कर कुचल डाला. लेकिन चिड़िया चिल्लाने के अलावा कुछ नहीं कर सकती थी. क्योंकि उस हाथी के सामने बहुत ही छोटी थी.
हाथी के जाने के बाद चिड़िया बहुत रोई. तभी उसके पास एक चिड़िया आई. वह उसकी अच्छी दोस्त थी. उसने चिड़िया से पूछा कि तुम क्यों रो रही हो. इस पर चिड़िया ने सभी घटी हुई घटनाएं उस चिड़िया को बताई.
इस पर दूसरी वाली चिड़िया ने कहा कि हमें रोना नहीं चाहिए. बल्कि यही सोचना चाहिए कि, हम उस हाथी से अपना बदला कैसे ले. इस पर पहली वाली चिड़िया बोले कि हम तो उस हाथी के सामने कुछ भी नहीं है.
दूसरी वाली चिड़िया बोली कि हमेशा सोचते इसलिए हम कम महसूस करते हैं. हमें एक साथ मिलकर उस हाथी से मुकाबला करना चाहिए. इस पर पहले वाली चिड़िया बोली, तो हमें क्या करना चाहिए यह भी बताओ.
उस दूसरी वाली चिड़िया का भंवरा अच्छा दोस्त था. वह बोली कि हमें उससे सलाह लेनी चाहिए. दोनों चिड़िया मिलकर भंवरा के पासके पास चली गई. उसे उसने सभी घटी हुई घटनाएं बताएं.
इस पर भंवरा बोला कि मेंढक मेरा अच्छा दोस्त है. हमें उसकी भी मदद लेनी चाहिए. तीनों मिलकर मेंढक के पास चले गए. मेंढक बोला मैं जरा आप गहरे पानी में जाकर सोचता हूं.
मेंढक तकरीबन आधे घंटे बाद पानी से बाहर निकला. तब उसकी आंखें चमक रही थी. उसने एक योजना बनाई थी. योजना उसने सभी अन्य अपने साथियों को सुनाई. योजना सुनने के बाद सभी हर्षित हो गए क्योंकि, यह योजना रंग लाने वाली थी.
इस योजना में सभी का सहभाग होना अनिवार्य था. मेंढक ने सभी को अपना काम और उसे कैसे करना है इसकी जानकारी दी. योजना के अनुसार पहला काम भंवरे का था.
हाथी विश्राम कर रहा था. विश्राम करते हुए भंवरा उसके कान के पास चला गया. उस के कान में एक मधुर ध्वनि सुनाई दि. जैसे ही मधुर राग हाथी के कान में पड़ा हाथी ने अपनी आंखें बंद करते हुए विश्राम करना चालू कर दिया. आंख बंद करते हुए हाथी को कब नींद आ गई उसे भी नहीं पता चला.
अगला काम चिड़िया का था जिसकी चोंच नुकीली थी. उसने अपने नुकीली चोंच से हाथी के दोनों आंख बिंध डाली. हाथी की आंख फूट गई. उसकी आंखों से रक्त निकलना चालू हो गया.
वह तड़पता हुआ खुद को अंधा महसूस करते हुए इधर-उधर भागने लगा. लेकिन उसे सामने वाला कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. वह और भी क्रोधित हो गया. उसने क्रोध में पेड गिराना चालू कर दिया. उसकी आंखें ना होने के कारण उसके पूरे शरीर पर जख्म हो गए.
इस पर पहली वाली चिड़िया जिसका घोंसला और उसके अंडे टूट गए थे वह बोली, मेंढक जी मैं आपकी आभारी हूं की आपने मेरी सहायता की. इस पर मेंढक ने कहा एक दोस्त ही दूसरे दोस्तों के काम आता है.
आंखों में जलन और शरीर पर लगे हुए जख्म गहरे हुए. हाथी ने चिल्लाते हुए बहुत जगह तोड़फोड़ कर दी. इससे उसे भूख भी लगी थी और उसका गला भी सूख गया था.
अब उसे पानी पीने की इच्छा हुई थी. वह प्यास से तड़प रहा था. तभी अगला काम मेंढक का था. उसने अपने सभी दोस्तों को कहा कि जोर-जोर से आवाज करें ताकि हाथी को पता चले कि यहां पर तालाब है.
दोस्तों ने भी वैसा ही कहा जैसा मेंढक ने कहा था. आवाज सुनकर हाथी तालाब की ओर खींचा चलाया. जैसे ही हाथी तालाब के पास आ गया. तब मेंढक तालाब की दूसरी तरफ जाकर जोर-जोर से आवाज करने लगे. हाथी को लगा कि अभी तालाब और दूर है और वह तालाब में गिर गया. इस प्रकार अहंकारी हाथी का अंत हुआ.
सीख – इस कहानी से हमें यही सीख मिलते हैं कि, हमें किसी भी दुश्मन का सामना उसकी कद काठी लगाकर नही करना चाहिए. बल्कि हमारे साथ कौन-कौन खड़ा है और हमें एकजुट होकर उस दुश्मन को कैसे हराना है इसके बारे में हमें सोचना चाहिए.
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