एकात्मता – Ekatmata panchantantra ki kahani
एक किसान दूसरे किसान के यहां काम कर कर अपने परिवार का संगोपन कर रहा था. एक दिन वह एक खेत में काम करने के लिए गया. वह खेत की मशागत कर रहा था इतने में उसे एक चमकीली चीज नजर आयी.
एक जंगल में एक बिल में एक सांप रहता था. बिल के नजदीक में एक तालाब था जहां पर मेंढक रहते थे. सांप छोटा था इसलिए वह बिल में आसानी से अरे पा रहा था. शिकार करने के लिए वह तालाब में से मेंढक खाता था.
लेकिन जैसे सांप बड़ा हो गया. उसका बिल में समा पाना संभव हो गया. इस पर इस ने सोचा कि अब मुझे दूसरा घर ढूंढना पड़ेगा. घर की तलाश करते हुए वह जंगल में घूमने लगा. जंगल में उसे एक बरगद का पेड़ दिखा. पेड़ के ऊपर एक बहुत बड़ा बिल था.
सांप ने सोचा मैं यहां खुशी-खुशी रह सकता हूं. सांप उस बरगद के पेड़ के पास गया और वहां जाकर वहां पर रहने वाले सभी पक्षियों को कहा की अब से मैं यहां रहने वाला हूं तुम जो भी यहां रहते हो तुरंत यह पेड़ छोड़कर चले जाओ.
सभी पक्षी और प्राणियों में डर का माहौल पैदा हुआ. उस बरगद के पेड़ के नीचे छुट्टियों का एक पहाड़ था जहां पर वह रहती थी. सांप ने चीटियों को भी कहा कि तुम यहां से अपना घर छोड़कर चले जाओ. लेकिन चीटियों ने जाने से मना कर दिया. सांप को गुस्सा आया और उसने चीटियों के घर पर प्रहार कर दिया.
चीटियों ने अपने घर को बचाव करने के लिए सभी ने एकजुट होकर सांप पर आक्रमण कर दिया. एकात्मता के कारण सांप को चीटियों के सामने हार माननी पड़ी. और वह दर्द भरी हालत में वहां से भाग गया.
सीख – एकात्मता में ही शक्ति है.
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