गधा तो गधा ही रहेगा – पंचतंत्र की कहानी

गधा तो गधा ही रहेगा – पंचतंत्र की कहानी

एक जंगल में एक शेर रहता था. वह अपने बाकी शेरों से अलग रहता था. उसे अन्य शेरों से हार मिली थी. जंगल में दूसरी तरफ उसने अपना एक गुफा में घर जमाया हुआ था.

उसका गीदड़ दोस्त था. वह हमेशा उसकी चापलूसी करता रहता था. जब भी शेर कोई शिकार करता था, तो उस शिकार को मुफ्त में खाने के लिए गीदड़ उसकी वाहवाही करता रहता था.

शेर को भी पता था की गीदड़ उसकी वाहवाही करता था. लेकिन उसे पता था कि बुरे वक्त में गीदड़ ही उसकी मदद कर सकता है. एक दिन एक विशालकाय सांड को पकड़ने के चक्कर में शेर को बहुत बुरी तरह से चोट पहुंची.

सांड ने शेर को बहुत अच्छे से धोया. इसमें किसी तरह जान बचाकर शेर जंगल की ओर भाग गया.

अगले 10 दिनों तक शेर कोई शिकार नहीं कर सकता था. क्योंकि उसे बहुत गहरी चोट पहुंची थी. इस दौरान उसे यह भी डर था कि, कहीं गीदड़ उसका साथ छोड़ कर चला ना जाए.

उसने गीदड़ से कहा की, उसे जोर से भूख लगी है. वह शिकार भी नहीं कर सकता. तुम ऐसा करो जंगल के पास एक गांव है, वहां से कोई भी प्राणी को बहला-फुसलाकर मेरे पास लेकर आओ.

झाड़ियों छुपकर मैं उसकी शिकार कर लूंगा. शेर की कही हुई बात गीदड़ के दिमाग में बैठ गई. वह गांव की ओर चला गया. उसे सामने खेत में एक गधा घास खाते हुए दिखाई दिया.

उसने सोचा गधा ही हमारी शिकार बन सकता है. वह उसके पास गया और बोला तुम तो अब बहुत ही बूढ़े लग रहे हो. तुम्हें अपना मालिक खाने को कुछ देता भी है या नहीं.

इस पर गधा बोला, तुमने बिल्कुल सही सोचा. मेरा मालिक तो मुझसे बस काम ही करवाता है. मुझे खाने को कुछ नहीं देता. इस पर गीदड़ बोला, इससे अच्छा है तुम जंगल में चले आओ. वहां इन दिनों बहुत घास होगी बनी होगी. तुम्हारा पेट भी भर जाएगा.

कुछ दिन पहले वहां एक गधी भी अपने मालिक से अपनी जान बचाकर जंगल में आ चुकी है. तुम्हारे उससे शादी भी हो जाएगी. बस्ता हुआ घर और अपने पेट की मिटती हुई भूख के सपने देखते हुए गधा जंगल की ओर निकल पड़ता है.

गीदड़ गधे को उसी जगह लेकर जाता है जहा शेर छुपा होता है. गधा झाड़ियों में शेर की नीली आंखें देखता है और किसी को ना देखते हुए सीधा गांव के और भाग जाता है.

जल्दी से शिकार करने के चक्कर में शेर की आंखें गधे को दिख जाता है. वह गीदड़ को फिर से एक बार गधे को लाने के लिए कहता है. गधा जंगल के बाहर जा चुका होता है. गीदड़ जल्दी से गधे की तरफ भागता है और उसे रुकने के लिए बोलता है.

गीदड़ गधे से पूछता है कि क्या हुआ? तो उसने बताया कि, मैंने उस गाड़ियों में शेर को देखा. इस पर गीदड़ बोलता है अरे पगले वह शेर नहीं था. वह तो एक गधी थी जो तुम्हें देखकर उसकी आंखें नीली हो गई.

वह तुम्हारी राह देख रही थी और जैसे जंगल में उसे एक गधा दिखाई दिया उसकी आंखें चमकीली हो गई. गधा फिर से गीदड़ की बातों पर यकीन कर लेता है.

जंगल में वही उसी जगह जाता है जहां पर उसे वह सुनहरी आंखें दिखाई दी थी. शेर इस बार कोई गलती नहीं करता और गीदड़ की मजे से गधे का शिकार कर लेता है दोनों मिल बैठकर गधे को खाते हैं और गधा गधा ही रहता है.

सीख – हमेशा याद रखें कि दूसरों की चिकनी चुपड़ी बातों पर ध्यान ना दीजिए. चिकनी चुपड़ी बातें उस समय के लिए अच्छी लगती है लेकिन इससे आपको हानि ही पहुंचती है.

Gadha to Gadha hi Rahega panchatantra ki kahani आपको जरूर पसंद आई होगी.

गजराज और मूषकराज

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