गोलू मोलू और भालू – पंचतंत्र की कहानी

गोलू मोनू और भालू – पंचतंत्र की कहानी

एक शहर में गोलू और मोनू रहते थे. गोलू बहुत ही पतला था और मोलू काफी बड़ा था. उन दोनों की दोस्ती सारे शहर में चर्चित थी. वह एक दूसरे के लिए जान भी देने के लिए तैयार थे ऐसा उन दोनों को लगता था.

लेकिन उनका एक दोस्त था उसे उन दोनों की दोस्ती पर बिल्कुल यकीन नहीं था. वह नजदीकी शहर में रहता था. उसने सोचा कि इन दोनों की दोस्ती की परीक्षा ली जाए.

उसकी बहन की शादी थी तो शादी का न्योता देने के लिए वह उनके घर चला गया और उन दोनों को शादी में आने के लिए कहा गया.

उसके गांव तक जाने के लिए एक जंगल से गुजरना पड़ता था. शादी के एक दिन पहले गोलू और मोनू जंगल से जा रहे थे. उस जंगल में बहुत से भालू मौजूद थे.

इन दोनों को जंगल से जाते हुए देख कर एक भालू उनके सामने खड़ा हुआ. उसने देखा की दो लड़के जंगल से गुजर रहे हैं. जैसे ही भालू को सामने खड़ा देखा मोलू तुरंत भागते हुए पेड़ पर चढ़ गया.

वही मोनू वजनदार होने के कारण वह भाग ना पाया. उसने देखा कि गोलू उसका साथ छोड़कर अकेला ही पेड़ पर चढ़ गया. उसने उसे बुलाने की बहुत कोशिश की लेकिन वह पेड़ से नीचे उतरने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं था.

भालू मोनू के नजदीक आया. मोनू को पता था कि भालू मरे हुए आदमियों पर प्रहार नहीं करते, तो उसने मरने का नाटक करना चालू कर दिया. उसने इस तरह खुद को मरा हुआ दिखाया कि भालू उसके नजदीक आकर उसे सुंगने पर भी उसे पता नहीं चला कि यह जिंदा है.

भालू वहां से चला गया भालू के जाने के बाद गोलू उसके नजदीक आ गया. उसने उसे पूछा कि, भालू ने तुम्हारी कान में क्या कहा. इस पर मोनू ने कहा कि गोलू पर विश्वास न करना क्योंकि यह तुम्हारा सच्चा दोस्त नहीं है.

सीख – सच्चा मित्र वही होता है जो संकट में हमारा साथ दें. संकट में जो हमारा साथ छोड़कर चला जाए वह हमारा दोस्त कहना के लायक नहीं होता है. 

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