कुछ साल पहले नासा ने साल २०१७ में सैटेलाइट इमेज प्रकाशित की जी राम सेतु की है । आखिर नासा ने इसके बारे में क्या कहा? आज हम आपको रामसेतु के बारे के कुछ ऐसी जानकारी जिसे देखकर दुनिया के होश उड़ गए । तो चलिए जानते है की रामसेतु का रहस्य आखिर क्या है? (interesting facts about ram setu bridge in hindi).
रामसेतु जो की श्रीलंका और भारत के बीच है । जब रामसेतु की डिजिटल तस्वीर को जब नासा ने ऑफिशियल साइट पे प्रदर्शित किया । ऐसी तस्वीर जिसे आजतक किसी ने दिखाया नही था । तो चलिए जानते है की आखिर नासा ने इसके बारे में क्या कहा ।
रामसेतु की कहानी हिंदी में: हर दिन भारत में बहस चल रहती थी आखिर रामसेतु है क्या, है तो उसपर आदमी चलते है तो वो डूबते तो नही । इसके बाद ज्यादातर लोगो का सवाल रहता है की क्या सच में रामायण घटा था की नही? इन सभी बातों पे नासा ने तस्वीर प्रदर्शित करके पूर्णविराम लगा दिया ।
नासा ने कहा की भारत और श्रीलंका के बीच ऐसा एक पुल मौजूद है । वो आज भी वहा मौजूद है । रामायण की कथा के मुताबिक रामसेतु को नल और नील की मदत से बनाया था । रामायण में ऐसा बताया है की रामसेतु को बनाने के लिए ५ दिन का समय लगा था । रामसेतु चुना के पत्थर से बना है । या ३० किलोमीटर लंबा और ३ कोलोमीटर चौड़ा है ।
यह भारत के पंबन द्वीप के धनुषकोडी से शुरू होता है और श्रीलंका के मन्नाड़ द्वीप पे खतम होता है । रामायण में उल्लेख है ही इस क्षेत्र में समुद्र खड़ी उथल होने के कारण भगवान राम ने यही सेतु बनाने का फैसला किया था । रामायण की कथा के मुताबिक यह यह नल और नील द्वारा बनाया गया था और जा नल और नील पत्थर समुद्र में फेंकते थे तो वो तैरता था ।
पानी उथल होने के कारण जब भी यहां चट्टाने आती थी तो उनकी गहराई ३ फिट से ३० फिट के बीच रहती थी । साइंस की माने तो इसी बात को ध्यान में रखकर भगवान राम ने इसी जगह का चयन किया होगा । १५ वो शताब्दी में यही से ही रामेश्वर से मन्नाड तक जाया जाता था । लेकिन किसी कारणवश यह टूट गया ।
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अब जान लेते है की आखिर नासा ने इसके बारे में क्या जानकारी दी है । इसमें नासा ने कहा की भारत और श्रीलंका के बीच ऐसा एक पुल बंधा है और उनके मुताबिक यह तकरीबन ७००० हजार साल पुराना है । उन्होंने कहा की यह प्राकृतिक नही है और इसे किसीने बनाया है । क्यों की यहां इनके अप जो पत्थर रखे है वो अपने आप नही बन सकते और इन्हे किसीने बनाया है ।
रामसेतु के बारे में नासा ने क्या कहा?
नासा ने जब सैटेलाइट इमेज प्रदर्शित की तो उन्होंने उसका हवाला देते हुए कहा की यह मानव निर्मित है । नासा ने जिस समय का उल्लेख किया वो रामायण की तारीखों से मेल खाती है । यहां में सैंड पर जो पत्थर रखे हुए है वो किसी दूर जगह से लाए है । भौगोलिक वैज्ञानिकों के मुताबिक इसका निर्माण और यह सात हजार साल पुराने है । यही नहीं जिस सैंड के उपर यह पत्थर रखे है वो सैंड जिसे हम समुद्री मिट्ठी कहते है वो चार हजार साल पुरानी है ।
हमारी पौराणिक कथाओं के अनुसार भी जो समय बताया जाता है वो इस से मेल खाता है । इसके लिए वैज्ञानिकों ने स्टडी किया इसके बाद इन्हे पता चला की दोनो का समय सही में में खाता है । इसके साथ उन्होंने वाल्मीकि रामायण का अध्ययन किया । इसके बाद समुद्र के जलस्तर का अध्ययन किया गया और अंत में उन्हे पता चला की समुद्र का जलस्तर ४ मीटर बढ़ गया है ।
आज के समय में जब रामसेतु के पत्थर पानी के कितने नीचे है इसकी जानकारी निकालने पर उन्हे मालूम हुआ की रामसेतु के पत्थर अब समुद्र की सतह से लगभग ४ मीटर नीचे ही पाए जाते है । इस से यह बात निकलकर आती है की रामसेतु के पत्थर उस समय समुद्र के उपर रहे होंगे ।
यही नहीं जब उन पत्थरों का स्टडी किया गया और उनके अंदर मौजूद सूक्ष्मजीवों और कार्बन का अध्ययन किया गया तो उन्हे पता चला की यह भी लगभग ७००० साल पुराना है । इस से यह पता चलता है की इन दोनो घटनाओं का अवधि एक ही है । लेकिन अब एक ही सवाल रहता है की इसे किसने बनाया भगवान राम ने या किसी और ने इसका निर्माण किया था । यह सवाल आज भी बना है ।
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