झगड़ालू मेंढक – आज की इस कहानी में बात करेंगे ऐसे झगड़ालू मेंढक की, जिसके अंदर बहुत से अच्छे गुण होने के बावजूद भी झगड़ने की आदत के वजह से उसके गुण दुनिया की नजर में नहीं आते. (jhagdalu mendhak story in hindi)
झगड़ालू मेंढक – पंचतंत्र की कहानी
एक बहुत बड़ा गांव था. इस गांव में एक झगड़ालू मेंढक रहता था. मेंढक शुरुआत से ही बहुत चिड़चिड़ा था. वह हमेशा अपने दोस्तों से झगड़ा बनाकर रखता था. जब मेंढको की संगीत की महफिल लगती थी, तब वह किसी बात को लेकर बीच में सबको टोंक दिया करता था. इसी कारणवश सभी मेंढक उनसे बहुत परेशान थे.
एक दिन सभी मिलकर एक फैसला लेते हैं कि, वह उस जगह मेंढक के साथ नहीं रहेंगे. लेकिन वह अचानक से उसे छोड़ नहीं सकते थे. इसलिए वह एक योजना बनाते हैं. इसके लिए वह अपने दोस्त की सहायता लेते हैं.
सब मिलकर दोस्त को कहते हैं कि, वह मेंढक के पास जाओ और उसकी तारीफ करो. दोस्त भी वैसा ही करता है. वह उसके पास जाता है और उसकी तारीफ करना चालू कर देता है. वह उसे कहता है. तुम तो बड़े होशियार हो. हम सभी तुम से प्रभावित हो चुके हैं. हम सभी को तुम से कुछ सीखने की जरूरत है. क्या तुम मुझे कुछ गाना सिखा सकते हो.
घंटीधारी उंट
झगड़ालू मेंढक भी उसकी बातों पर यकीन कर लेता है. असल में उसकी हुई तारीफ उसे रास आती है और वह खुश होकर गाने सिखाने के लिए तैयार हो जाता है. दोस्त कहता है कि, मैं अकेला नहीं हूं मेरे साथ मेरे और भी दोस्त हैं जिनको भी आप से गाना सीखने की अनुमति चाहिए.
गाने सीखने की शुरुआत में मेंढक कुछ साधारण राग गाना चालू करता है. असल में उसका आवाज बहुत ही अच्छा था, लेकिन शरारत करने की वजह से कोई उसके आवास पर ध्यान नहीं देता था. बल्कि उससे दूर रहने की कोशिश करते थे.
सही से गाने सिखाने के बाद अचानक से झगड़ालू मेंढक कहता है कि, अब मुझे आपसे वही राग सुनना है. सब दोस्त मिलकर वही राग गाना चालू कर देते हैं. झगड़ालू मेंढक को भी यकीन नहीं होता कि, उसने इतनी अच्छी तरह से इनको सिखाया है. रात सुनकर उसका भी मन प्रसन्न हो जाता है.
सीख – हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए, क्योंकि हर एक के पास अलग-अलग कला मौजूद होती है. अगर सभी मिलकर अपनी कला को एक साथ पेश करे. उससे एक अच्छा सा ध्वनि संगीत या फिर राग तैयार हो जाता है.