झूठी शान पंचतंत्र की कहानी – आज के इस कहानी में हम सीखेंगे कि, झूठी शान दिखाने से उसके आपके जीवन पर क्या परिणाम होते हैं. झूठी शान का असर आपके जीवन पर कैसा होता है. (Jhuthi Shan Story in Hindi)
झूठी शान –
एक पहाड़ पर एक बहुत ही बड़ा किला था. उसके लिए के अंदर एक गुफा थी, जिसमें एक उल्लू रहता था. पहाड़ के नीचे झील थी. झील के आसपास बहुत बड़ी घास थी. घास के अंदर छोटे-मोटे कीटक और वन्यजीव खाकर उल्लू अपना जीवन चला रहा था.
झील के भीतर हंसों का एक जमावड़ा था. जिसमें हर दिन हंस पानी में तैरते थे, उड़ते थे, और वही पास वाले जगह रहते थे.
ऊपर से जब उल्लू हंस को देखता था, तो उसे तैरते हुए हंस और अपने जीवन का मजा लेते हुए हंस को देखकर बहुत ही अच्छा लगता था. उसे लगता था कि, वह भी हंस की माफिक नीचे पानी में तेरे, गाना गाए, और उनके तरह सुंदर दिखे.
अब रोज देखने वाले हंस उसके भी दोस्त बन जाए ऐसा उसे लगता था. एक दिन कोई कारण ढूंढ कर जब हंस पानी में तैर रहता तब उल्लू उसके पास जाता है और उसे कहता है. हंस महाराज आपकी अनुमति हो तो मैं पानी ग्रहण कर लूं.
इस पर हंस कहता है, पानी तो सबके लिए ऊपर वाले ने बनाए हैं. इस पर मेरा आपका और किसी का अधिकार नहीं है. आपको जितना पानी चाहिए आप पी सकते हो.
उल्लू ने पानी पिया लेकिन, वह और बात करना चाहता था, इसलिए सर नीचे डालकर वहां से निकलने की कोशिश करने लगा. हंस को लगा कि उल्लू नाराज है. इसलिए उसने उसे पूछा कि, आपको कोई परेशानी तो नहीं है.
इस पर उल्लूने कहा कि, मैं अपने जीवन से नाराज हूं. मेरा कोई दोस्त नहीं है. मेरा जीवन एकदम अलग है. आपको देखकर ऐसा लगता है कि, आपसे कई ऐसी चीज है जो मै सीख सकते हैं. क्या आप मुझे इकट्ठा की हुई जानकारी साझा करेंगे.
इस पर हंस कहता है कि, आपसे भी मुझे सीखने के लिए कुछ मिलेगा. आपभी मुझे अपनी जानकारी साझा करें.
अगले दिन से ही दोनों की दोस्ती गहरी होती चली गई. असल में उल्लू को पता नहीं था कि, वह हंस एक साधारण हंस नहीं था बल्कि हंसों का राजा हंसराज था. उसने उल्लू को दावत पर बुलाया. उसकी अच्छी तरह से मेहमान नवाजी करना चालू कर दी.
गजराज और मूषकराज
अब हर दिन उल्लू हंसराज के साथ उसके शाही महल में जाता था. वहां उसके अच्छे से मेहमान नवाजी होती थी. अब उसका भी दायित्व था कि वह भी हंस को अपने घर बुलाए.
लेकिन उल्लू का घर तो उसका था ही नहीं. वह पहाड़ पर बने एक किले में रहता था लेकिन उसको पता था कि उस किले में सैनिक कब आते थे चाहे अतिथि कब आते थे और उनका स्वागत कैसे किया जाता था. उल्लू को पता था की महल में किस तरह से स्वागत होता था.
एक दिन उल्लू हंसराज के पास जाता है और उसे कहता है कि. आप मेरे साथ मेरे महल में चलो मैं आपका शाही स्वागत करना चाहता हूं. हंस भी जाने के लिए तैयार था. उसने जाने के लिए हां कर दी.
दोनों मिलकर दरवाजे के पास पहुंचे. तभी एक शाही मेहमान किले के अंदर जा रहा था. उसको देखकर वहां दरवाजे पर मौजूद सैनिकों ने प्रणाम किया. तो उल्लू ने हमसे कहा कि देखा हमारा स्वागत कैसे होता है.
हंस को भी उल्लू की बातों पर यकीन हो गया. उसे लगा कि, उल्लू को देखकर सभी सैनिकों ने उसे प्रणाम कर दिया, अंदर जाकर उल्लू की एक रहने वाली जगह पर हंस के लिए शाही दावत का निवेदन किया था. खाने में लगने वाले सभी मुख्य व्यंजन उन्होंने जमा करके रखे थे. उसने वह व्यंजन हंसराज को दिए. हंसराज भी खुश हो गया.
लेकिन हंस कई दिन और उल्लू के पास रहना चाहता था. उसको मजा आने लगा था कि, यहां किले में उल्लू की सभी बातें मानी जाती है.
अगले दिन सैनिक सभी चीजों को समेटे हुए दूसरी जगह जा रहे थे. तभी हंसराज उल्लू को कहता है कि, यह देखो यह सैनिक आपको न पूछते हुए यहां से जा रहे हैं. तभी उल्लू उनके पास जाता है और अपनी कर्कश ध्वनि से राग अलापना चालू कर देता है.
उल्लू की ध्वनि सुनकर सभी सैनिकों का ऐसा लगता है कि कोई अशोक घटना होगी. तो वह जाना डाल देते हैं. हंस को फिर से यकीन हो जाता है कि, उल्लू की बातें यहां पर चलती है.
अगले दिन वही बात फिर से दोहराई जाती है, तो सैनिकों का सरदार परेशान हो जाता है, वह उस उल्लू को मारने का आदेश देता है.
सैनिक तीर चलाते हैं लेकिन तीर उल्लू के पास से गुजर जाकर हंस को लग जाता है और हंस वही खत्म हो जाता है.
उल्लू हंस के पास जाता है और रोने लगता है. उसे पता चल जाता है कि उसकी झूठी शान की वजह से हंसराज की जान चली गई है.
पास से एक सियार यह सब देख रहा होता है. वह मौके का फायदा उठाता है और उल्लू पर आक्रमण कर देता है. दोनों का वही अंत हो जाता है. झूठी शान दिखाने के चक्कर में हंसराज और उल्लू का खात्मा हो जाता है.
सीख – आपके जीवन में जो भी आपका है वही दिखाओ. बढ़ चढ़कर झूठी चीजें दिखाने से एक दिन वह सामने आ जाती है. इसी के साथ आपके पास जो भी है वह भी चला जाता है.