मक्खीचूस गीदड़ – हिंदी कहानी

मक्खीचूस गीदड़ – आपको जिंदगी में कंजूसी क्यों नहीं करनी चाहिए इसका जवाब आपको इस कहानी से मिलेगा (makhichoos gidad story in hindi)

मक्खीचूस गीदड़ – हिंदी कहानी

एक घने जंगल में एक गीदड़ रहता था. जंगल के सभी प्राणी उसे मक्खीचूस कहते थे. जब भी वह कोई शिकार करता था, तो बाकी गीदड़ जैसे एक दिन में उसका सफाया करते थे. लेकिन यह मक्खीचूस गीदड़ उसे खाने के लिए 4 या 5 दिन लगाता था.

समझो उसने खरगोश की शिकार कर ली, तो एक दिन वह उसके कान खाता, दूसरे दिन उसका सर, तीसरे दिन उसका पेट और चौथे दिन उसकी पूंछ. जब भी कोई उस शिकार उसके चंगुल में आ जाता वह उसको बचा बचा कर खा लेता.

हम इंसानों में भी ऐसे कई कंजूस लोग होते हैं, इस तरह प्राणियों में भी इसी तरह के कंजूस प्राणी भी होती है. एक दिन एक शिकारी जंगल में शिकार करने के लिए घूम रहा था. उसकी नजर एक सूअर पर पड़ी. उसने अपने धनुष्य से सूअर पर निशाना साधा. धनुष्य से लगा हुआ तीर सीधा सूअर के कमर में जाकर लगा.

बुद्धिमान सियार

जंगली सूअर ने शिकारी पर पलटवार करते हुए अपने सिंग शिकारी के पेट में डाक दिए. ऊपर से मक्खीचूस गीदड़ यह सब देख रहा था. दोनों घायल सूअर और शिकारी कुछ देर बाद मर गए.

गीदड़ बहुत ही खुश हुआ. अब उसे लगा कि, उसके अगले एक-दो महीने खाने का इंतजाम हो चुका है. वह मन ही मन खुश था. सूअर और शिकारी के मरने के बाद उनके पास आया. सूअर के पेट में एक तीर लगा था. वहीं दूसरी तरफ शिकारी के हाथों में जो धनुष था उसमें ही शिकारी का थोड़ा सा मांस लगा था.

गीदड़ को पता था कि, उसकी शाही दावत आ चुकी है. लेकिन उसने पहले यह सोचा कि, इन दोनों को तो बाद में खाया जा सकता है सूअर के हाथ में जो धनुष था, उस पर एक मांस का टुकड़ा था. लेकिन वह दोनों के बीच में अटका हुआ था. उसने सोचा उसे पहले इसे खा ले. आज की भूख मिट जाएगी.

उसने धनुष के ऊपर अटका हुआ मांस खाने की कोशिश की. इसी कोशिश में धनुष की रस्सी उसके गर्दन को पार करते हुए तेजी से निकल गई. गीदड़ की मौत हो गई.

सीख – ज्यादा कंजूसी भी करना आपके लिए अच्छा नहीं है. कंजूस लोग कंजूसी कर कर कुछ वस्तुएं या रकम तो इकट्ठा कर सकते हैं लेकिन सही तरह से उसका उपभोग नहीं कर सकते.

बहरूपिया गधा

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