Mother Teresa Biography in Hindi

Mother Teresa Biography in Hindi: नमस्कार दोस्तो, आज की आर्टिकल मे हम महान समाजसेविका मदर ते रेसा के बारे मे बात करेंगे. मदर टेरेसा हमेशा कहते थी की, जीवन अगर जीना है तो दुसरो के लिये जिया जाये.

अगर आप जीवन मे आये हो तो आपका यह दायित्व है की आप समाज के कल्याण के लिए कुछ ना कुछ जरूर करे. आज के इस आर्टिकल मे हम मदर तेरेसा जी के बारे मे सब कुछ जानकारी प्रदान करेंगे तो इस आर्टिकल को आखिर तक पढना मत भूलिए.

मदर टेरेसा बायोग्राफी इन हिंदी (Mother Teresa Full information in hindi) 

Mother Teresa Biography in Hindi

मदर टेरेसा जी ने अपना जीवन जीते समय खुद को समाज के लिये अर्पित किया. निस्वार्थ मनसे उन्होने समाज की सेवा की थी. वह एक प्यारी, कोमल मन कि, सबको प्रेम करने वाली महिला थी.

उन्होने अपने जीवन काल मे गरीब तथा बिमार, लाचार, और जरूरमंद लोगो की सेवा की हे. उन्होने अपना पुरा जीवनकाल समाज के लिए समर्पित किया.

मदर टेरेसाजी जो की भारतीय नही थी. वो जब भारत मे आयी थी तो उन्होने इतना बढीया काम किया की, लोगो ने उने अपने सिर पे बिठा लिया. लोगो का अपने प्रति प्यार देख कर उन्होने फैसला लिया कि वो उनका बचा हुआ समय भारत मे ही बितायेंगी.

उनके काम के लिए उन्हे भारत सरकारने पद्मश्री से और जगत ने नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया. उनकी उपलब्धिया बहुतसी थी. मन से निर्मल मदर तेरेसा जी को लोक प्यार से माताजी, गरीबो की रक्षण हार और विश्व जननी के नाम से जानते थे.

मदर टेरेसा कौन थी?

मदर टेरेसा जी का पूरा नाम अगनेस गोंझा बोयाजिजू हे. इनका जन्म स्कॉप्जे शहर मसेदोनिया हुआ था. इनका जन्म 26 ऑगस्ट 1910 मे हुआ था. इनके माताजी का नाम द्रना बोयाजू है. तथा इनके पिताजी का नाम निकोला बोयाजू है. पेशे से मदर टेरेसाजी एक रोमन कॅथलिक नन थी.

अपने कार्यकाळ मे मिशनरी ऑफ चारिटी की स्थापना की थी, जो की एक संस्था है जो मानवी सेवा मे यकीन रखते हुए अपने कार्य को पूरा करके लोगो की सेवा मे अपने आपको निस्वार्थ मन से झौंक देती है.

26 अगस्त 1910 को मसेदोनियातील स्कॉप्जे शहर मे एक आम व्यापारी के घर मे मदर तेरेसा जी का जन्म हुआ था. जब वो 8 साल की थी उनके पिताजी का देहांत हुआ था. पिताजी गुजर जाने के बाद उनकी माताजी ने उनका ध्यान रखा.

मदर टेरेसा जी एक आदर्श गृहिणी के साथ साथ एक अच्छी महिला भी थी. बचपन मे उनके घर की हालत बहुतहि खस्ता थी. इसी हालत में उनकी माताजी ने उन्हें बढ़ा किया.

बचपन मे वो अपने माँ और दीदी के साथ मिलकर चर्च मे जाती थी. वहा जाकर धार्मिक गीत गाया करती थी. जब वो 12 साल की थी तप उन्होने येशू के विचारो को पूरे संसार मे फ़ैलाने का फैसला लिया.

वो अपना पूरा जीवन काल गरीब लोगो की सेवा मे ही बितायेंगी ऐसा उन्होने निश्चय किया. जब व 18 साल की हुई थी तब उन्होने सिस्टर ऑफ लोरेटो मे शामिल होने का फैसला लिया. इसके लिए आपणास सबकुछ छोड दिया.

इसके आगे हो साल १९२८ मे आयर्लंड यहा जाकर उन्होने पहले तो अंग्रेजी भाषा का अध्ययन किया. अंग्रेजी भाषा सिखने का प्रमुख कार्यनीय था कि उन्होने फैसला लिया था. भारत मे आकर गरीब लोगो को या बच्चो को अंग्रेजी सिखायेंगी.

यहा पर उन्होने नन जो की एक सिस्टर की डिग्री होती है. उसके बाद लोगो ने सिस्टर मदर टेरेसा के नाम से जानने लगे. जब उन्होने सिस्टर की डिग्री हासिल की तो उसके आगे का पूरा जीवन उन्होने गरीब और लोगो के लिये समर्पित किया.

मदर टेरेसा जी भारत मे कब आई थी?

साल 19२9 मदर टेरेसा जी अपने इन्स्टिट्यूट मे सिस्टर के साथ भारत के दार्जिलिंग शहर मे आई थी. यहा पर उन्होने सिस्टर की प्रतिज्ञा ली जो की एक धार्मिक प्रतिज्ञा थी. प्रतिज्ञा लेने के बाद कलकत्ता मे सिस्टर के रूप मे काम करने के लिए भेज दिया गया. यहा पर इनो ने संत मेरी स्कूल की स्थापना की थी.

इसी जगह मदर टेरेसा जी गरीब लोगो को तथा बच्चो को पढाती थी. यहा पर आकर उन्होने अंग्रेजी भाषा के साथ साथ हिंदी और बंगाली भाषा मे भी महारत हासिल कर ली. बचपन से ही वह मेहनती होने के कारण उनको काम करणे मे कोई खास मुश्किल का सामना नही करना पडा.

उस समय मे कलकत्ता मे सुखा पडने के कारण बहुत से लोगो की मृत्यू हुई थी. इसके अलावा इसी कारण से वहा के लोग गरीबी और भूक से मर रहे थे. यह देख कर उन्होने फैसला किया था कि वो अपना पूरा समय गरीब बच्चो के जीवन को सुधारने मे लगा देंगी.

मदर टेरेसा जिने मिशनरी ऑफ चारिटी की स्थापना कब की थी

गरीब तथा व असहाय लोगो की मदत करने के निश्चय से उन्होने नर्सिंग का प्रशिक्षण पुरा किया. इन्होने यह प्रशिक्षण पटना के होली फॅमिली हॉस्पिटल से पुरा किया था.

बहुत प्रयास करने के बाद साल ०७ ऑक्टोबर १९५० मे मिशनरी ऑफ चारिटी की स्थापना की. इन्होने इसकी ऑफिशियल जिम्मेदारी ली.

इस फाउंडेशन का मतलब ही था की गरीब पिछडे हुए लोगो की मदत करना.

मदर टेरेसाजी की मृत्यू कब हुई थी?

मदर तेरेसा जी को अपने अंतिम समय मे बहुत से रोगाने जखड लिया था. साल 1983 मे पहिला दिल का दौरा पडा. इसके बाद फिरसे उनको 1989 मे d दोबारा से दिल का दौरा पडा.

इतना सब कुछ होने के बाद भी उन्होने अपनी सेवा कार्य को कभी रुकने नही दिया निरंतर लोगो की सेवा मे अपना जीवन समर्पित करती रही.

साल १९९१ में उन्हें दिल की बीमारी और किडनी की तकलीफ शुरू हुई. इसके बाद साल १९९७ में उन्होंने मिशनरिज ऑफ़ चैरिटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया. इसी साल ५ सप्टेम्बर १९९७ को उन्होंने कोलकाता में आखिरी सांस ली.

मदर टेरेसाजी को कौन से पुरस्कार मिले हैं?

मदर टेरेसाजी को उनके जीवनकाल में क्यों है निस्वार्थ मन से काम करने की वजह से उनको बहुत से पुरस्कारों से सम्मानित किया गया.

मदर टेरेसाजी को साल 1962 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से नवाजा गया. भारत सरकार का सबसे सर्वोच्च पुरस्कार जिसे भारतरत्न कहते हैं उससे उन्हें गौरवान्वित किया गया.

इसके अलावा मानवता का कल्याण करने के कारण उन्हें 1979 में जगत का सबसे बढ़िया नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया. साल 1985 में उन्हें मेडल ऑफ फ्रीडम अवार्ड से भी नवाजा गया.

इन सभी पुरस्कारों में मिले हुए सभी राशि मदर टेरेसा जी ने फिर से गरीबों के कल्याण में लगा दी.

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