मूर्ख बातूनी कछुआ – बेवजह बोलने का अंजाम क्या होता है यह आपको इस कहानी से पता चलेगा (Murkh Batuni Kachua story in hindi)
मूर्ख बातूनी कछुआ – हिंदी स्टोरी
एक जंगल में एक तालाब था. इसी तालाब में एक कछुआ और दो हंस रहते थे. कछुआ और हंस की दोस्ती बहुत ही गहरी दोस्ती थी. दोनों में इतनी मित्रता थी कि, दोनों आपस में सभी बातें साझा करते थे. दो हंस तालाब में घूमते थे इसी के साथ-साथ अन्य जगह भी जाकर वहां की जानकारी कछुआ को बताते थे.
कछुआ भी उनके सभी बातें सुनता था. लेकिन कछुओं को आदत थी कि, जब भी हंस उसको कुछ बातें बताते थे. तो वह उनको बीच में ही रोक देता था. लेकिन उनकी दूरी दोस्ती इतनी गहरी होने के कारण हंस कछुए की बातों का बुरा नहीं मानते थे.
ऐसे ही कई दिन गुजर गए. उन दोनों की दोस्ती और भी गहरी होती गई. एक साल जंगल में सूखा पड़ने के कारण तालाब का सभी पानी सुख गया. जंगल में अकाल पड़ गया. तालाब में रहने वाले सभी प्राणी और पंछी दूसरी जगह प्रस्थान करने लगे.
मूर्ख को सीख
हंस ने भी एक जगह से दूसरी जगह जाने का निर्णय ले लिया. कछुआ को एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए बहुत समय लगता था. उसे दूसरी जगह कहां है इसका भी पता नहीं था. उसने हंस से कहा, आप मेरे लिए एक जगह का खोज करें जहापर में पानी में रह सकता हूं.
हंस हर दिन अन्य दूर जगत मैं घूम सकते थे. कम समय में ज्यादा अंतर काट लेते थे. उनको पता था कि पहाड़ी की उस तरफ एक बढ़िया सा तालाब है. जहां पर सुखा कभी नहीं पड़ता. उन्होंने कछुआ को कहा आप वहां जा सकते हो. वहां पर आपको किसी चीज की कमी नहीं महसूस होगी.
कछुए के दिमाग में आया. मैं तो इतना धीरे चलता हूं. मैं पहाड़ी के उस तरफ जाने में मुझे तो साल लग जाएगा. उसने यह बात हंस को बताइए. हंस को भी पता था की, कछुआ बहुत देर चल नहीं सकता. उन्होंने एक तरकीब निकाली. उन्होंने एक लकड़ी लि और कछुआ को कहा हम अपने पैरों से इस लकड़ी को पकड़ेंगे तुम अपने मुंह से लकड़ी को बीच से पकड़ना.
सच्चे मित्र
हम लकड़ी के साथ तुम्हें हवा में दूसरी जगह छोड़ आएंगे. पर एक बात का ध्यान रखना किसी भी हालत में जब भी हम हवा में हो तो इस लकड़ी को मत छोड़ना.
योजना के मुताबिक दोनों हंस ने दोनों तरफ से लकड़ी को अपने पैरों में पकड़ लिया. दूसरी तरफ कछुए ने लकड़ी को बीच में अपने मुंह से पकड़ लिया. दोनों हंस कछुए को लेकर हवा में उड़ रहे थे. नीचे से गांव के सभी लोग ऊपर वाला नजारा देख रहे थे. उनके लिए यह एक आश्चर्यजनक नजारा था.
कछुआ भी उड़ते समय नीचे से देख रहे लोगों को देखकर प्रफुल्लित हुआ. उससे रहा नहीं गया और उसने अपना मुंह खोलते हुए बोलने की कोशिश की. जैसे ही उसने अपना मुंह खोला वह नीचे गिर गया. ऊपर से नीचे गिरने के बाद उसकी तुरंत वहीं पर मौत हो गई.
सीख – बेमतलब बीच में बोलना कभी कभी हानिकारक हो सकता है.