शरारती बंदर – बेवजह किसी भी चीज में टांग लगाने का नतीजा क्या होता है यह आपको इस कहानी से पता चलेगा. (Shararti Bandar Story in Hindi)
Shararati Bandar Story
यह कहानी है एक बंदर की जिसे बीच में टांग अड़ा ने की आदत थी. कहानी की शुरुआत होती है एक शहर से जहां पर एक मंदिर बनाने का काम चल रहा था. मंदिर बनाने के लिए कारागीर हर दिन लकड़िया काटते थे, उनको आकार देते थे, और मंदिर बनाने के लिए इस्तेमाल करते थे.
धूप के मौसम मैं तेज गर्मी के कारण दोपहर को यह लोग छुट्टी कर कर खाना खाने एवं आराम करने के लिए जाते थे. एक दिन एक कारागिरने तेज धूप के कारण लकड़ियां काटने का काम अधूरा ही छोड़ दिया. एक लकड़ी बिना कांटे ही आदि कटी छोड़कर वह खाना खाने के लिए चले गए.
उस इलाके में बंदरों की टोली रहा करती थी. इन बंदरो में से एक बंदर बड़ा ही शरारती था. उसे हर चीज में अपना दिमाग लगाने की आदत थी. बंदरो की टोली लकड़ियां काटने वाली जगह आ गई.
रंगा हुआ सियार
कारागिरो ने एक लकड़ी अधूरी छोड़ दी थी. उस लकड़ी के बीच में एक कीला घुसा था. बंदरों को यह बात अजीब लगी. उन्हें लगा यह कोई अजीब चीज है जो बीच में फंसी है. तो उस शरारती बंदर ने उसे निकालने के लिए प्रयास करना चालू कर दिया.
किला दोनों लकड़ियों के बीच में अटक जाने के कारण निकल नहीं रहा था. किले की वजह से दोनों लकड़ियों में अंतर फैल चुका था. इस बंदर की मदद करने के लिए अन्य बंदर भी उसके पास आए. सबने मिलकर किले को हिलाने की कोशिश की तो वह थोड़ा सा रखने लगा. बंदरों को मजा आने लगा.
रंग में भंग
किला हटाने के चक्कर में बंदरों की पूछ कब उस लकड़ियों के बीच में चली गई उन्हें ही पता नहीं चला. कुछ देर और प्रयास करने के बाद किला लकड़ी के बीच में से निकल गया लेकिन बंदर की पूंछ लकड़ि के बीच में अटक गई. जैसे ही बंदर की पूंछ फस गई वह जोर से चिल्लाने लगा.
उसकी अटकी हुई पूछ देखकर और बंदर भी जोर जोर से चिल्लाने लगे. उनके चिल्लाने की आवाज सुनकर मंदिर के कारागीर दौड़े दौड़े चले आए. उन्होंने बंदर की अटकी हुई पुंज देखकर उसे निकालने की कोशिश की. लेकिन लकड़ी इतनी भारी होने की वजह से उसकी पूछ कट चुकी थी.
सीख – अगर आपको किसी चीज के बारे में पता नहीं है तो बिना सोचे समझे वह चीज ना करें.