Short Moral Stories in Hindi (25+ Stories)

Short Moral Stories in Hindi मैं आपका स्वागत है. बच्चों के लिए तथा बढ़ो के लिए Short Moral Stories सुनना और पढ़ना भी अति जरूरी है. इससे आपके जीवन में आप अच्छे मार्ग पर चलने के लिए तथा कुछ हासिल करने के लिए आपको यह स्टोरीज प्रेरणादाई साबित होती है.

इस प्रकार के Short motivational stories अगर आप हर दिन सुनते हो, तो आपको आपके निर्णय लेने में तथा खुद को विकसित करने के लिए आप एक कदम आगे बढ़ाते हो. इस आर्टिकल में हमने 100 से ज्यादा Short Moral Stories in Hindi Language आपको यहां पर दिखाई देंगे.

मनुष्य की कीमत क्या होती है?

Short Moral Stories in Hindi

एक लोहे की दुकान पर एक बच्चा अपने पिताजी के साथ काम कर रहा था. काम करते-करते उसने अचानक अपने पिताजी से पूछा कि पिताजी बताइए इस जीवन में मनुष्य की कीमत क्या है?

बच्चे ने पूछा इस सवाल का जवाब देने से पहले पिताजी 2 मिनट शांत रहे. और बाद में कहा,

बेटे एक मनुष्य के जीवन की कीमत अनमोल है उसका मोल नहीं कर सकते. उस पर उनका बेटा बोला,

पिताजी इसका मतलब इंसान की जीवन की कीमत का मूल करना संभव ही नहीं है. पिताजी कुछ समझ पाते इससे पहले बालक ने और एक सवाल पूछा. तो पिताजी सबके जीवन की कीमत एक ही है तो इस संसार में कोई अमीर तो कोई गरीब क्यों है?

इस सवाल का जवाब देने से पहले पिताजी 2 मिनट शांत रहे और बेटे से बोले कि अंदर स्टोर रूम में एक टुकड़ा पड़ा है जो लोहे का है उसे लेकर आओ.

बेटे ने भी अंदर पड़ा हुआ टुकड़ा लाया और पिताजी के सामने रख दिया. बेटे से पूछा, बताओ बेटे इस लोहे के टुकड़े की कीमत क्या है?

बेटे ने कहा पिताजी इसकी कीमत तो सोया 200 के आसपास होगी.

फिर पिताजी बोले अगर मैं इस लोहे के टुकड़े से छोटे-छोटे कील वाला दूंगा तो इसकी कीमत कितनी होगी.

बेटे ने कहा पिताजी अगर आप इससे छोटे-छोटे कील बना देंगे तो इसकी कीमत बेशक हजार के आसपास हो जाएगी.

फिर से पिताजी ने कहा कि बेटे अगर में इस लोहे टुकड़े से कोई ऐसी मशीन बनाओ तो इसकी कीमत क्या होगी?

बेटा थोड़ा गड़बडाया और बोला पिताजी फिर तो इसकी कीमत लाखों में हो जाएगी.

सीख :

इसके बाद पिताजी ने कहा, बेटा तुम तो अब समझ चुके होंगे कि मनुष्य की कि अभी के समय में वह क्या है, इस पर निर्भर नहीं करती. बल्कि अब तक उसने हासिल क्या किया है, उस पर उसके जीवन की कीमत निर्भर करते हैं.

कुरूप और आईना

Short Moral Stories in Hindi

रामू दिखने में कुरूप था. वह 1 दिन एक आईना हाथ में ले खुद का चेहरा आईने में देख रहा था.

तभी उसका एक इंसान उनके कैमरे में आया. रामू आईने में देख रहा था यह देखकर उस इंसान को अजीब लगा.

वह बस मुस्कुराया. उसकी मुस्कुराहट देखकर राम को पता चला कि उसके मन में क्या चल रहा है.

रामू से कहने लगा, मुझे पता है कि तुम क्यों मुस्कुरा रहे हो. शायद तुम सोच रहे हो कि मैं इतना कुरूप हूं और आईने में खुद को क्यों देख रहा हूं.

उस इंसान को थोड़ा बुरा लगा और वह नीचे मुंह कर कर शर्म से झुक गया.

उसके बाद रामू ने कहा तुम नहीं जानते कि मैं हर दिन अपना चेहरा क्यों आईने में देखता रहता हूं.

रामू ने दिया हुआ उत्तर सुनकर उस इंसान को बहुत बुरा लगा वह वह कभी रामू के सामने आंख उठाकर बात करने योग्य नहीं रहा.

रामू ने कहा हां मुझे पता है कि मैं कुरूप हूं. हर दिन जब मैं अपना चेहरा आईने में देखता हूं तो मुझे इस कुरूपता का एहसास होता है. मैं हर दिन सोचता रहता हूं कि आज मैं कुछ ऐसा अच्छा काम करो जिसकी वजह से मेरी यह कुरूपता कम हो जाए.

फिर उस इंसान ने कहां, रामू ऐसे में तो सुंदर लोगों को आईना देखने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी.

रामू ने कहा सुंदर लोगों को भी हर दिन आए ना देखने की जरूरत है. उन्हें इस बात का अहसास होना चाहिए कि वह सुंदर है. अपने जीवन में उन्होंने अपनी सुंदरता बचाने के लिए कुछ अच्छा काम करने कि उनको बेहद ही जरूरत है.

उन्हें इस बात का अहसास होना चाहिए कहीं उनसे कुछ बुरा काम हो गया तो उनकी यह सुंदर का कम ना हो जाए. और कहीं वह कुरूप ना बन जाए.

सीख :

दोस्तों सुंदरता बाहरी रूप से नहीं पता चलती बल्कि मन के रूप से और उसके विचारों से पता चलती है. शरीर की सुंदरता कुछ दिन के लिए होती है लेकिन मन की सुंदरता पूरे जीवन में आप की छवि कैसी है यह दुनिया को बताती रहती हैं.

हिसाब

Short Moral Stories in Hindi

एक राजा था. वह बहुत ही प्रतापी था. पूरे साम्राज्य में उसके पराक्रम के चर्चे चारों जगह पहले हुए थे. उसके राज्य में सभी सुख सुविधा मौजूद थी.

लेकिन वह राजा मन से कुछ नहीं था. वह मन ही मन उदास रहता था. उसने कई ज्योतिषियों और पंडितों से पूछा कि मन से खुशी लाने के लिए मुझे क्या करना चाहिए. पंडित और ज्योतिषियों ने भी राजा से कहा कि आप यज्ञ हवन करें उससे आपकी परेशानी हल हो सकती है.

राजा ने भी यज्ञ हवन किए लेकिन उसकी परिस्थिति का समाधान उसे नहीं मिला.

तब उसने पूरे संसार में भ्रमण करने का फैसला लिया और वह भैंस बदलकर अन्य राज्यों में घूमने लगा. एक दिन एक जगह से जाते जाते उसकी नजर एक किसान पर पड़ी. किसान एक पेड़ के नीचे अपनी रोटी खा रहा था. किसान के कपड़े फटे हुए थे इसलिए राजा को लगा, इस इंसान की मदद की जाए और इसे कोई स्वर्ण मुद्राएं दी जाए.

राजा किसान के पास गया और कहा कि मैं यहां से गुजर रहा था आप के खेत में मुझे कुछ स्वर्ण मुद्राएं मिली आप इसे रख लीजिए क्योंकि यह आपके खेत मैं पड़ी हुई है.

किसान ने स्वर्ण मुद्राएं लेने से इनकार कर दिया. कहा कि मुझे इन स्वर्ण मुद्राओं की गरज नहीं है. इसे आप ही रख लीजिए. राजा ने किसान की ओर देखा और उसे कहा कि ऐसा जीवन में कोई हो सकता है क्या जिसे सोने की मुद्राओं की ना पड़े.

किसान ने कहा, मैं जितना कमा लेता हूं उससे मैं खुश हूं. राजा ने कहा, दिन के कितने कमा लेते हो?

किसान ने कहा मैं दिन का चार आने कमा लेता हूं.

राजा ने कहा, चार आने से तुम अपना परिवार और खुद को संभाल पाते हो.

किसान ने कहा जी हां जरूर, चार आने में से एक आने को मैं कुएं में डाल देता हूं, दूसरे आने से कर्जा चुका था हूं, तीसरे आने से उधार देता हूं, और चौथा मिट्टी में गाड़ देता हूं.

इतना कहकर वह किसान वहां से चला गया.

राजा कोई समझ नहीं पाया और वह अपने महल वापस आया.

दूसरे दिन उसने सभा बुलाई और घटी हुई घटना सबको बताएं. उसने सबसे उस पहेली का हल जानने की कोशिश की कि आखिर वह चारा ना किधर खर्च करता है.

विद्वानों ने और कई और राज्यों ने इस पहेली का जवाब देने की कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं रहे.

राजा ने उस किसान को ढूंढ कर लाने के लिए कहा. बड़े परिश्रम से वह किसान से राजा की मुलाकात हुई और उस किसान को राजा ने अपनी सभा में बुलाने के लिए निमंत्रित किया.

किसान आने के बाद उसे बड़े ही सम्मान से वही सवाल फिर से पूछा गया. इस पर किसान बोला,

सीख:

चार आने में से एक आना मैं कुएं में डाल देता हूं इसका मतलब है मैं उस एक आने से परिवार के खर्चों का मतलब उनके खाने-पीने का इंतजाम करता हूं. दूसरा आना मैं कर्जा चुकाने में लगा देता हूं इसका मतलब मैं उस दूसरा आने से अपने माताजी और पिताजी का ध्यान रखता हूं. तीसरा आना मैं उधारी चुकाने में लगा देता हूं मतलब मैं अपने बच्चों की शिक्षा में वह आने का इस्तेमाल करता हूं. और चौथा आना मैं मिट्टी में गाड़ के रखता हूं इसका मतलब है मैं उस चौथे आने से मेरा आने वाला भविष्य कैसे अच्छा हो और आने वाले समय में मुझे किसी से कोई भी उधारी लेने की जरूरत ना पड़े इसलिए मैं वह बचत करके रखता हूं.

किसान ने दिया हुआ जवाब सुनकर राजा बहुत ही खुश हुआ और उस किसान को भेंट के रूप में कुछ स्वर्ण मुद्राएं दी.

समय कब आएगा

Short Moral Stories in Hindi

एक इंसान स्नान करने के लिए समुद्र के यहां जाता है. वह अमावस्या का दिन था. अमावस्या होने के कारण लहरें ऊपर ऊपर उठ रही थी. तू स्नान करने से बजाए वह इंसान किनारे पर बैठा रहा.

उधर से एक इंसान गुजर रहा था और वह इंसान को बहुत देर वही जगह बैठे देख कर उस इंसान ने पूछा कि आप स्नान क्यों नहीं कर रहे. उस पर उस आदमी ने कहा जब समुद्र की लहरें बंद हो जाएगी तब मैं स्नान करूंगा.

पूछने वाला इंसान हंसने लगा और उसने कहा समुद्र की लहरें कभी खत्म नहीं होंगी आपको लहरों के साथ ही स्नान करना पड़ेगा. ऐसे में आप जीवन में कभी भी स्नान करो नहीं कर पाओगे अगर आप लहरों के शांत होने का इंतजार करते रहे.

सीख

इससे सीख यही मिलती है कि हमें अगर जीवन में किसी भी चीज की शुरुआत करनी चाहिए तो उसके लिए हमें उस दिन का इंतजार नहीं करना चाहिए अगर आज का दिन भी सही है तो भी आज आपको काम चालू करने के लिए शुरुआत कर देनी चाहिए.

हम जीवन में यही सोचते रहते कि उस दिन मैं यह करूंगा इस दिन में वह करूंगा और हम जीवन में कभी कुछ नहीं कर पाते.

ध्यान रखें कि जीवन में कभी भी कोई भी समय ठीक नहीं होता या बुरा नहीं होता. उस समय को आप अच्छा या बुरा बना सकते हो.

अगर आपको कोई करना है काम तो आज ही चालू करें. कल के रहा मत देखें.

चार मोमबत्तियां

Short Moral Stories in Hindi

एक जगह पूरा अंधकार फैला हुआ था. चारों ओर सन्नाटा था. तभी एक कमरे में 4 मोमबत्तियां जल रही थी. इस चांद भरे मौसम में वह एक दूसरे से बात कर रही थी. बात करते हुए एक मोमबत्ती दूसरी मोमबत्ती से कह रही थी.

मेरा नाम विश्वास है. मेरा ही जीवन से विश्वास उठ चुका है. लोगों का एक दूसरे के प्रति विश्वास ही नहीं रहा. ऐसा कहते कहते वह मोमबत्ती बुझ गई.

इस पर दूसरी मोमबत्ती बोली मेरा नाम शांति है. आपके जीवन में शांति का कोई काम नहीं. हर जगह लोग एक दूसरे को दुश्मन की तरह देख रहे हैं. मेरा अब इस संसार में कोई काम नहीं. यह शांति की जरूरत किसी को भी नहीं है. ऐसा कहकर वह भी मोमबत्ती बुझ गई.

तीसरी मोमबत्ती ने कहा मेरा नाम प्यार है. अभी के समय में प्यार से ज्यादा लोगों में नफरत है. लोग प्यार करना भूल गए हैं. इस संसार से प्यार में खत्म हो रहा है. इतना कहकर वह भी मोमबत्ती बुझ गई.

चौथी मोमबत्ती कुछ कहने वाली थी उसके पहले ही उस कमरे में एक छोटा बच्चा आया. उसने तीन मोमबत्ती को बुझा देखकर वह रोने लगा. उसको रोते हुए देख कर चौथी मोमबत्ती बोली रे बेटा मत रो.

मैं इन बुझी हुई मोमबत्ती को फिर से चला सकती हूं. मेरा नाम आशा है और मैं इन तीन मोहम्मद दो को फिर से चला दूंगी. यह कह कर उसने बाकी की मोमबत्तीओ को फिर से जला दिया.

सीख

यदि आप जीवन में निराश हो चुके हैं आपके जीवन से प्यार, शांति और विश्वास दूर हो चुका है तो भी आपके पास एक आशा की किरण जरूर होनी चाहिए जो आपके जीवन मे गई हुई शांति, विश्वास और प्यार लौटा कर वापस ले आए. जीवन में कभी हार मत मानिए.

मौत का सौदागर

Short Moral Stories in Hindi

एक दिन एक इंसान सुबह सुबह अखबार पढ़ रहा था. अखबार पढ़ते पढ़ते उसने एक शोक संदेश पढ़ लिया. तो वह हैरान हो गया क्योंकि अखबार में उसी का ही नाम मरे हुए इंसान के रूप में और उसी का ही फोटो वह लगा हुआ था.

वह कुछ देर घबराया और अपने भाई की मौत की खबर देने के बजाय अखबार ने उनकी खुद की ही खबर वहां छाप दी थी. उसने सोचा कि चलो देखते हैं शांति के संदेश पर लोग उसे क्या कहते हैं.

उसने संदेश पढ़ने चालू कर दिए तो कई लोगों ने उसे मौत का सौदागर कहा था. उसे बहुत बुरा लगा. उसने सोचा कि क्या मरने के बाद लोग उसे इसी नाम से याद करेंगे.

यह उसके जीवन का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ. उसने सोचा कि वह अपने जीवन का बचा हुआ समय विश्व की शांति और समाज के कल्याण में लगा देगा. उसने अपने बचे हुए समय में यही काम पूरी ईमानदारी से पूरा किया और अपनी जो भी संपत्ति जमा की थी वह लोगों के कल्याण में लगा दी.

उस इंसान का नाम था अल्फ़्रेद बर्नार्ड नोबेल. यह एक वैज्ञानिक थे. आज उन्हीं के नाम पर नोबेल प्राइज दिए जाते हैं. आज भी लोगों ने एक महान वैज्ञानिक और समाजसेवी के रूप में याद किया करते हैं.

क्या कुछ जीवन में बनेंगे?

Short Moral Stories in Hindi

एक यूनिवर्सिटी में एक शिक्षक अपने विद्यार्थियों को एक असाइनमेंट देता है. मुंबई में धारावी झोपड़पट्टी है. वहां जाओ और वहां के 10 से लेकर 13 साल के बेच के बच्चों का अध्ययन करके उनका रिपोर्ट मेरे सामने लेकर आओ.

उनकी सामाजिक आर्थिक और नैतिक परिस्थिति कैसी है इसका रिपोर्ट उसमें आना चाहिए वह क्या जीवन में कुछ बन सकते हैं उनके जीवन के देखने का नजरिया कैसा है, इसकी भी सभी जानकारी उस रिपोर्ट में आनी चाहिए.

लड़कों ने टीम बना ली और सर्वे रिपोर्ट तैयार करने के लिए वह धारावी पहुंच गए. उन्होंने तकरीबन 300 विद्यार्थियों से जानकारी हासिल की और वह रिपोर्ट लेकर विद्यार्थी अपने कॉलेज लौट आ गए.

यूनिवर्सिटी के शिक्षक ने जब उनका रिजल्ट देखा. तब उन्हें बहुत दुख हुआ क्योंकि सर्वेक्षण के अनुसार 95 परसेंट बच्चे या तो गुंडागर्दी में शामिल होंगे या फिर जेल चले जाएंगे और बचे हुए 5% ही अच्छी राह पर दिख चलते हुए दिखाई दिए. उस पर उस यूनिवर्सिटी टीचर ने कहा यह क्या अपने जीवन में कुछ कर पाएंगे.

इस बात को 25 साल बीत गए. एक और प्रोफेसर ने 25 साल बाद उसी रिपोर्ट को देखा. और उसे दिलचस्पी होने लगे कि अभी के समय में वह बच्चे क्या कर रहे होंगे. उसने फिर से स्टूडेंट की टीम बना ली. और सर्वेक्षण करने के लिए धारावी में उस टीम को भेज दिया.

टीम ने उन सभी 300 बच्चों का पता लगाकर अभी के समय में वह क्या कर रहे हैं इसकी जानकारी हासिल की. वह रिपोर्ट लेकर प्रोफेसर के पास आए तो प्रोफेसर आश्चर्यचकित हो गए. वह रिपोर्ट के अनुसार 95 परसेंट लड़के या तो गुंडागर्दी या फिर जेल में जाने वाले थे उसके विपरीत 95 परसेंट लड़के एक अच्छी शिक्षा लेकर एक अच्छी जगह अच्छे पैसे कमा रहे थे.

अब प्रोफेसर को उन बच्चों में यह बदलाव कैसे आया यह जानने की उत्सुकता बढ़ गई?

उसने फिर से धारावी जाने का फैसला लिया. उसने वहां जाकर पूछा कि आपके जीवन में यह बदलाव कैसे और किसने लाया? बच्चों ने कहा था हम भी बिगड़ जाते हैं लेकिन हमारे जीवन में एक प्रोफेसर आई और उसने हमारा जीवन ही बदल दिया.

अब वह प्रोफेसर को शिक्षिका को ढूंढने उनके कॉलेज में चला गया तब उसे पता चला कि वह तो अब सेवानिवृत्त हो चुकी है. उसने उनके घर जाने का फैसला लिया. पता निकालकर वह उनके घर चला गया और उन्होंने पूछा आपने यह कैसे किया?

सीख

इस पर वह महिला टीचर बोली जिंदगी में जो काम मार से नहीं होता वह प्यार से होता है. उसने कहा मैंने तो यह बच्चों को अपने बच्चे की तरह समझाया पढ़ाया लिखाया और इस काबिल बनाया कि वह जिंदगी में अपने मुकाम पर है. अगर तुम सामने वाले को प्यार देते हो तो सामने वाला भी तुमको प्यार से ही देखेगा. 

तीन गुरु

Short Moral Stories in Hindi

एक राजा था. उसके यहां एक महंत काम करते थे. वह बहुत ही ज्ञानी गुरुवर्य थे. उनके यहां हजारों भक्त रोज शिक्षा लेने आते थे. एक दिन एक भक्तों ने पूछा महाराज आप का गुरु कौन है. इस पर महंत बोले वैसे तो मेरे कई गुरु है लेकिन मै अपने जीवन में तिन गुरु को अपना गुरु मानता हु.

शिष्य ने पूंछा की कौन है आपके तिन गुरु,

गुरूजी ने अपने गुरु के बारे में बताना चालू कर दिया. गुरूजी बोले मेरा पहला गुरु था एक चोर. मई एक बार रास्ता भटक गया था. जब मई किसी एक गाव में पहुंचा तो मैंने देखा की सभी घर बंद हो चुके है. उसके बाद मुझे एक आदमी मिला जो एक घर फोड़ने की कोशिश कर रहा था. मैंने उसे कहा की मुझे रहने के लिए जगह चाहिए. इसपर वो बोला की मई एक चोर हु. अगर तुम्हे मुझसे कोई परहेज नहीं है तो तुम मेरे साथ रह सकते हो.

गुरूजी उसके साथ एक महीने तक रहे. इसबीच वो हर दिन चोरी करने जाता था. जब शाम को वो वापस आता था तो गुरूजी उससे हर दिन पूछते है की, क्या आज कुछ मिला. इसपर चोर कहता था की, आज तो कुछ नहीं मिला. लेकिन वो निराश नहीं होता था. वो बोलता था की, आज नहीं मिला लेकिन कल जरुर कुछ मिलेगा.

गुरूजी बोले मई चोर से यह सिखा की, हमें अपना प्रयास करते रहना है चाहे हमें सफलता मिले अगर नहीं मिले लेकिन हमें प्रयास करना नहीं छोड़ना.

गुरुजी बोले मेरा दूसरा गुरु मेरा एक छोटा बच्चा था. वो एक अपने हातो में मोमबत्ती लेकर जा रहा था मैंने उसे पूंछा की, तुम्हे जो मोमबत्ती अभी जलाई है क्या तुम मुझे मोमबत्ती का शुरुवाती क्षण दिखा सकते हो जब तुमने इसे जलाया था.

इसपर वो बच्चा मुस्कुराया और उसने मोमबत्ती पे फूंक मारकर उसे बुझा दिया. बच्चा बोला अभी मैंने जो मोमबत्ती बुझाई है क्या आप मुझे बता सकते हो की वो कहा गई. बस इतना बोलने पर ही गुरुजी का घमंड चकनाचूर हो गया.

 

गुरुजी ने के तीसरे गुरु के बारे में बताना चालू किया, गुरु जी बोले मेरा तीसरा गुरु था तो एक कुत्ता. एक कुत्ता बहुत ही प्यासा था और वह पानी पीने के लिए नदी के पास के तालाब में आया था. लेकिन वह जब पानी पीने जाता था तो उसको उसकी परछाई दिखाई देती थी. लेकिन प्यास लगने की वजह से उसने एक बार फिर से साहस किया और फिर से तालाब के नजदीक चला गया. परछाई को देखकर उसने तालाब में छलांग लगाई. तब उसे पता चला कि यह कोई दूसरा और कुत्ता नहीं है बल्कि उसकी ही परछाई है और उसने पानी पिया.

गुरुजी बोले इससे मुझे सीख मिली कि अगर हमें डर भी लग रहा है लेकिन उस डर में भी हमें प्रयास करने नहीं छोड़ने चाहिए.

नाविक और पंडित

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एक बार एक नाविक के नाम से कुछ लोग और एक पंडित नदी पार कर रहे थे. पंडित खुद को होशियार समझते हुए नाविक से सवाल करने लगा. उसने नाविक से पूछा क्या तुम भूगोल जानते हो.

इस पर नाविक बोला मैंने तो कभी भूगोल नहीं पड़ी. ईश्वर पंडित जी हंसते हुए बोले तुम्हारी तो पाव जिंदगी व्यर्थ हो गई. अब पंडित जी को नाभिक से सवाल करने में मजा आने लगा और उसने आगे का सवाल पूछा.

पंडित जी ने ईर्ष्या से दूसरा सवाल पूछा क्या तुम इतिहास के बारे में जानते हो तुम्हें इतिहास का कुछ पता है. नाविक बोला मैं तो खाली नाव चलाता हूं मुझे इतिहास के बारे में कुछ भी नहीं पता. पंडित जी फिर हंसे और बोले तुम्हारी आधी जिंदगी पानी में डूब गई.

पंडित जी को नाविक से सवाल करने में अब मजा आने लगा. उन्होंने तीसरा सवाल पूछा क्या तुम रामायण महाभारत के बारे में कुछ जानते हो. पंडित जी मुझे कुछ नहीं पता मैं खाली नाव चलाना जानता हूं ऐसा नाविक ने कहा. इस पर पंडित जी बोले तुम्हारी तो पाऊन जिंदगी पानी में डूब गई.

नाव कुछ देर चलने के बाद नदी में तेज बाढ़ आई. नाविक ने सभी यात्रिओसे से कहा की, बाढ़ तेज हो गई है. नाव कभी भी पलट सकती है. अगर नाव पलटी तो सभी तैरने के लिए तैयार रहें. इस पर पंडित बोला मुझे तो तैरना नहीं आता. हंसते हुए नाभिक बोला तुम्हारी तो पूरी जिंदगी डूब गई.

सीख:

इसे हमें जीवन में यही सीख मिलती है कि हमें किसी को कम नहीं आंकना चाहिए. हर आदमी अपनी जगह सही होता है किसी में कुछ खामियां होती है तो किसी में कुछ अच्छाई होती है. हमें सामने वाले का आदर करना चाहिए.

दर्द

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एक कौवा जंगल में रहता था. वह खुद को बहुत ही कम नसीब मानता था. उसको लगता था कि बाकी पक्षी और प्राणियों की तरह उसका जीवन नहीं है उसे कोई नहीं पूछता वह दिखने में सुंदर नहीं है. यह सब सोचकर वह खुद ही नाराज रहता था. जब भी वह जंगल में हंस को देखता था तो उसे बहुत ही अच्छा लगता था क्योंकि वह दिखने में बहुत सुंदर था.

एक बार हंस उसे मिला तो उसने उसे कहा कि तुम तो दिखने में सुंदर हो तुम्हें तो जिंदगी में खुशी चीज की परेशानी महसूस नहीं होती होगी. तुम्हें तो जीवन जीने में आनंद आता होगा. उस पर हंस बोला, शुरुआती क्षणों में मैं भी खुद को नसीब वाला महसूस करता था लेकिन जैसे मैंने तोते को देखा उसके सुनहरे पंख और उसकी रंगों की छटा मुझसे भी अच्छी है तो मुझे लगता है कि तोता हमसे ज्यादा सुखी होगा.

कौवा तोते के पास गया और तोते को भी वही बात बोली. तोता बोला मैं भी खुद को यही समझता था लेकिन जैसे ही मैंने मोर को देखा मुझे लगा कि मोर हमसे ज्यादा सुखी है.

कौवा और तोता से मोर के पास चला गया. मोर एक पिंजरे में बंद था उसे लाखों लोग देख रहे थे. यह देख कव्वे को अच्छा लगा और बोला तुम्हारा तो बढ़िया चल रहा है तुम्हें तो खाना पीना मिल रहा है. हर दिन तुम्हें लाखों लोग देखते हैं. शायद हमारा भी ऐसा ही होता.

इस पर मोर ने कहा, सबसे बड़ा नशीबवान तो तुम ही हो जो तुम खुली हवा में सांस ले रहे हो. मनचाहा तब बाहर जा रहे हो मनचाहा तब अंदर आ रहे हो. ना तुम्हें रोकने वाला कौन है ना ही पकड़ने वाला. कौवे को बात समझ आई और वह मुस्कुराते हुए जंगल वापस चला गया.

सीख

हम अपने जीवन में समस्याएं ज्यादा गिनते हैं भले उस समस्या में ही उसका हल छुपा होता है. इसके साथ ही हम एक दूसरे के साथ अपनी तुलना करते हैं. इन्हीं बेवजह बातों को हम मन में बिठा कर अपना दिन-रात उदास करते रहते हैं. इससे अच्छा आए थे जो हमारे पास है उसे अच्छे तरीके से इस्तेमाल करके एक अच्छी जिंदगी जी जाए.

सच्ची दोस्ती

Short Moral Stories in Hindi

पति काम से वापस घर आए पत्नी ने उन्हें चाय दी और बोली कि तुम्हारा दोस्त आया था बचपन का दोस्त था तुम्हारा नाम ले रहा था मैंने उससे ₹10000 दे दिए अगर तुम्हें किसी जगह लिखना है तो लिख लो. इस पर पति के चेहरे से आंसू गिर गए उसका चेहरा उदास हो गया.

पति का ऐसा चेहरा देखकर पत्नी को भी बहुत बुरा लगा उसने उनसे पूछा कि मुझसे कुछ गलती हो गई. मुझे ₹10000 नहीं देने थे क्या.

इस पर पति बोला तुमने जो किया वह तो सही किया तुम्हें उससे बेशक दो ₹10000 देने हैं गलती तो मुझसे हुई है मुझे इस बात का खेद है कि मेरा दोस्त इतनी मुश्किल मैं है और मैंने उसे अभी तक पूछा भी नहीं. मैं कितना स्वार्थी हो गया था कि मैं अपने दोस्त को पूछ भी न सका कि उसकी अभी की हालात कैसी हैं.

सीख

एक सच्ची दोस्ती वही होती है जो उसके अच्छे और बुरे हालात दोनों में उसके साथ दिखाई दे. लेकिन आजकल की दोस्ती तो स्वार्थी दोस्ती है जो सिर्फ काम के लिए दोस्त को अपने साथ लेते हैं. जैसे ही काम खत्म होता है दोस्त की दोस्ती भी खत्म हो जाती है. सच्ची दोस्ती वही है जो अच्छे और बुरे हालात में दोस्त के साथ बनी रहे.

मोमबत्ती

Short Moral Stories in Hindi

एक परिवार था जिसमें एक पिता अपने बच्चे के साथ रहता था. दोनों एक दूसरे को बहुत ही प्यार करते थे. एक दिन अचानक बच्चा बीमार पड़ गया. और हॉस्पिटल जाते जाते उसकी मौत हो गई. पिताजी सदमे में चले गए. बच्चे को बेहद प्यार करने की वजह से उनका अब किसी बात में किसी चीज में मन ही नहीं लग रहा था. वह बस दिन भर रोते रहते थे.

इस चीज को महीना गुजर जाने के बाद भी पिताजी अब तक नहीं समझे थे. उन्होंने काम करना छोड़ दिया था. बहुत लोगों ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन वह समझ नहीं पा रहे थे.

ऐसे में एक दिन बच्चे की याद में सोते हुए उनको एक सपना दिखाई दिया. सपने में उन्हें उनका बच्चा दिखाई दिया जो औरों के साथ स्वर्ग में खेल रहा था. सभी बच्चों के हाथ में एक मोमबत्ती थी जो जली हुई थी. लेकिन उनके बच्चे के हाथ में मौजूद मोमबत्ती बुझी हुई थी. पिताजी ने बच्चे से पूछा कि आपकी मोमबत्ती क्यों बुझी हुए हैं.

इस पर बच्चे ने कहा कि मैं हमेशा मोमबत्ती जलाने की कोशिश करता हूं लेकिन आप इतना रोते हो कि मोमबत्ती बुझ जाती है. इतने में ही पिताजी हड़बड़ाकर नींद से उठ गए. उन्हें उनकी गलती का एहसास हो गया. अपने सामान्य जीवन में वह वापस लौट गए.

सीख

कोई अपना गुजर जाता है तो उसका गम शब्दों में बयां नहीं कर सकते. लेकिन हमें खुद को मजबूत करना सीखना चाहिए. भले ही कितनी ही कठिनाई क्यों ना हो हमें खुद को संभालना है और अच्छी तरीके से जिंदगी को सवारना है. सुख और दुख जीवन का हिस्सा है, आते रहते हैं आप दुख में सुख का मार्ग जरूर ढूंढें.

सेहत का रहस्य

Short Moral Stories in Hindi

एक राज्य में एक आदमी था जिसका नाम ब्रह्मा था. ब्रह्मा 80 साल का हो चुका था लेकिन वह 40 साल के आदमी से ज्यादा तंदुरुस्त था. राजा ने ब्रह्मा की तंदुरुस्ती का राज निकालने के लिए उसके पीछे सैनिक लगा दिए.

सैनिक ब्रह्मा पर नजर रखने लगे कि ब्रह्मा दिन भर में आखिर क्या करता है जो उसकी सेहत 40 साल के आदमी से अच्छी है. अगले दिन सुबह सुबह ब्रह्मा उठ गया और उठते ही पहाड़ी के ऊपर चलने लगा तेज चलते चलते इतना आगे निकल गया कि सैनिकों को वह दिखाई नहीं दिया. कुछ देर बाद सैनिक उसे ढूंढते हुए वही उसी राह पर खड़े थे तो ब्रह्मा एक फल खाते हुए वहां से गुजर गया.

सैनिकों को लगा ऐसी फिल्में कुछ छुपा है. सैनिकों ने बगड़ी गति हुई सभी बातें राजा को बताई. राजा ने पहाड़ पर जाकर वह जादुई फल ढूंढने के लिए सैनिकों को भेज दिया. सैनिकों ने बहुत ढूंढा लेकिन उन्हें वह फल नहीं मिला.

हताश होकर राजा ने ब्रह्मा को राज दरबार में निमंत्रित होने का निमंत्रण दिया. निमंत्रण को स्वीकार करके ब्रह्मा राज दरबार में हाजिर हो गया. राजा ने ब्रह्मा से उनकी सेहत का राज क्या है इसके बारे में पूछा.

ब्रह्मा ने भी बताया कि मैं वह फल खाता हूं जिससे मेरी सेहत अच्छी हो जाती है. राजा ने कहा हमें भी वह फल चाहिए और ब्रह्मा राजा को लेकर उस पहाड़ी पर चला गया. पहाड़ पर जाते हुए सामने एक बेर का पेड़ दिखाई दिया और उसके फल देखकर ब्रह्मा राजा को बोला यही फल में हर दिन खाता हूं.

राजा को गुस्सा आया क्योंकि बहुत से लोग आए दिन यह पेड़ फल खाते हैं. राजा को लगा कि ब्रह्मा को छुपा रहा है. गुस्से में राजा ने फिर से पूछा क्या यही पेड़ के फल है जो तुम हर दिन खाते हो और इससे ही तुम्हारी सेहत बनती है.

इस पर ब्रह्मा बोला. सही कहा मैं हर दिन यही पेड़ के फल खाता हूं लेकिन इस पेड़ के फल खाने के लिए मुझे हर दिन 10 मिल चल कर आना पड़ता है. यही मेरी स्वास्थ्य क्या कारण है कि मैं अभी तक निरोगी हूं क्योंकि में हर दिन 10 मील चलता हो और तब जाकर मुझे यह फल खाने को मिलते हैं.

राजा समझ चुका था कि उसकी गलती क्या थी. उसने ब्रह्मा को बख्शीश के रूप में स्वर्ण मुद्राएं दी. और प्रजा को शारीरिक व्यायाम करने की सलाह दी.

सीख

आजकल की इंटरनेट की दुनिया में हम शारीरिक कष्ट करना भूल ही चुके हैं. इससे यही नसीहत में इतनी है कि अगर हमें ज्यादा अच्छा जीवन व्यतीत करना है तो हमारा शरीर भी अच्छा होना चाहिए इसके लिए हमें मानसिक और शारीरिक दोनों व्यायाम करने जरूरी है.

काला यह सफेद

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क्लास चल रही थी. शिक्षक अपने विद्यार्थियों को पढ़ा रहे थे. तभी एक देश पर दो बच्चे झगड़ा करते हुए टीचर को सुनाई दिया. टीचर ने उन दोनों को सामने बुलाया एक बच्चे ने दूसरे बच्चे के साथ क्यों झगड़ा करते हो ऐसा टीचर ने कहा.

दोनों में से एक बच्चा इसको एक बात सुनाने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन यह सुनी नहीं रहा.

इस पर दूसरा बच्चा बोला कि मुझे इसकी कोई बात नहीं सुननी है यह फिजूल की बातें कर रहा है.

मास्टर जी को बात समझ आए उन दोनों को सामने बुला कर दो दिशाओं में खड़ा किया. उनके बीच एक गेंद दी और उस गेंद की तरफ देखने के लिए उन दोनों को कहा गया. दोनों बच्चे उस गेंद की तरफ देखने लगे.

टीचर बोले बताओ इसका कलर कौन सा है. गेंद में दो कलर थे पहला था सफेद और दूसरा था काला. बच्चों को उनकी साइड से जो कलर दिखाई दिया उन्होंने वह बताया.

टीचर ने आप दोनों को अपनी जगह बदलने के लिए कहा और एक दूसरे की जगह आने के लिए कहा. एक दूसरे की जगह आने के बाद फिर से वही सवाल उन उन्होंने बच्चों से पूछा.

लेकिन बच्चों के जवाब बदल चुके थे क्योंकि जिसका सफेद रंग था उसका काला हो चुका था और जिसका काला था उसका अब सफेद हो चुका था.

सीख

अब टीचर ने बच्चों से कहा हमारे जीवन का भी ऐसा है हम अपने जीवन को जिस नजरिए से देखते हैं वह हमें वैसा ही दिखाई देता है. हमारा देखने का दृष्टिकोण कैसा है इस पर हमारे जीने का रास्ता और हमारा सुख निर्भर करता है. हम सामने वाले के विचारों को किस तरह लेते हैं यह भी इस पर ही निर्भर करता है कि हम उसे किस तरह से देखते हैं.

जीवन में सबसे बड़ा गुरु

Short Moral Stories in Hindi

द्रोणाचार्य पांडव और कौरव के गुरु थे. 1 दिन एकलव्य द्रोणाचार्य के पास आया और उनसे पूछा कि आप मुझे भी अपना शिष्य बना लीजिए. द्रोणाचार्य ने उसे अपना शिक्षा बनाने से इंकार कर दिया और कहा बेटा मुझे माफ कर दो मैं तुम्हें अपना शिष्य नहीं बना सकता क्योंकि तुम राज परिवार से नहीं आते.

एकलव्य वहां से चला गया. एक दिन द्रोणाचार्य और पांडवों में से अर्जुन जंगल में एक कुत्ते को लेकर भ्रमण कर रहे थे. जंगल में जाते जाते कुत्ता एक जगह जाकर भोकने लगा. कुछ देर भोकने के बाद चुप हो गया. अर्जुन और द्रोणाचार्य को कुछ गड़बड़ महसूस होती दिखाई दी. वह उस तरफ भागे और वहां उन्होंने देखा उसके बाद वह आश्चर्यचकित हो गए.

कुत्ते का मुंह तीरों से भर चुका था लेकिन कुत्ते को कोई चोट नहीं पहुंची थी. इतनी कुशलता से कोई कैसे तीर चला सकता है बात सोचते हुए द्रोणाचार्य और अर्जुन वही खड़े रहे. दूसरी तरफ से एकलव्य उनके सामने चलते हुए उनके पास आया.

सीख

पास आकर उसने गुरु जी को विनम्रता से नमस्कार किया. द्रोणाचार्य ने उनसे पूछा तुमने यह कैसे किया. तब एकलव्य ने कहा मैंने आप की मूर्ति बनाकर उसको हर दिन प्रणाम कर कर अभ्यास करता था. इतना बड़ा धनुर्धर बनने के पीछे मेरा एक ही गुरु है और वह है मेरा परिश्रम.

Dr. APJ Abdul Kalam Motivational story in hindi

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